कांग्रेस का घोषणापत्र अपनी तमाम महत्वपूर्ण योजनाओं और वादों के लिए चर्चा बटोर ही रहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसमें आज़ादी के आंदोलन के दौर की मुस्लिम लीग की छाया देखी ली। यह किसी सामान्य व्यक्ति का आरोप नहीं है जिसे हँसी में उड़ा दिया जाये। मुस्लिम लीग की छवि भारत का बँटवारा कराने वाले की है। यानी पीएम की नज़र में यह घोषणापत्र देश को बाँटने वाला है। ऐसे में यह समझना ज़रूरी है कि पीएम मोदी ने ऐसा क्यों कहा।
कांग्रेस ने ऐसा क्या कर दिया कि मुस्लिम लीग के पर्दे में छिपे मोदी?
- विचार
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- 9 Apr, 2024

पीएम मोदी ने कांग्रेस के घोषणापत्र में मुस्लिम लीग की छाया कैसे देख ली? इस घोषणापत्र में न्याय के जिस दर्शन को आधार बनाया गया है, क्या मुस्लिम लीग से उसका कुछ लेना-देना रहा है?
कांग्रेस की ओर से इस आरोप पर पलटवार स्वाभाविक था। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उचित ही याद दिलाया कि आज़ादी के पहले मुस्लिम लीग और पीएम मोदी के राजनीतिक पूर्वज यानी आरएसएस और सावरकारवादी हिंदू महासभाइयों के बीच गलबहियाँ थीं। बीजेपी के प्रात:स्मरणीय श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने बतौर बंगाल के मंत्री 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन का दमन करने के लिए अंग्रेज गवर्नर के सामने योजना पेश की थी। यह भी याद किया जा सकता है कि हिंदू और मुस्लिम को दो राष्ट्र बताने की मोहम्मद अली जिन्ना का सिद्धांत सावरकर का ही अनुसरण था। बीजेपी के कई प्रत्याशी प्रचार के दौरान सरेआम कह रहे हैं कि 2024 में बीजेपी को चार सौ पार सीटें इसलिए चाहिए कि भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाया जा सके। भारत हिंदू राष्ट्र बने और पाकिस्तान मुस्लिम राष्ट्र, यह मुस्लिम लीग का ही प्रस्ताव था।