ग़रीब हो या अमीर, जब जनता 20 लाख करोड़ रुपये के सुहाने पैकेज वाले झुनझुने की झंकार सुनने को बेताब हो तब तीन दिनों से राहत कम और भाषण ज़्यादा बरस रहा है। कोरोना संकट से चरमराई अर्थव्यवस्था में जान फूँकने के लिए वित्त मंत्री ने लगातार दूसरे दिन अपना भानुमति का पिटारा खोला। पहले दिन मुख्य फ़ोकस लघु, छोटे और मझोले उद्योगों (एमएसएमई) पर रहा तो दूसरे दिन किसानों, प्रवासी मज़दूरों, रेहड़ी-पटरी वालों, मध्यम वर्ग के लिए रियायतों की घोषणा हुई। लेकिन वित्त मंत्री के पास मामूली रियायतें देने और नयी योजनाओं के एलान के सिवाय कुछ ख़ास नहीं था। ज़ाहिर है कुछ एलान अच्छे भी हैं, लेकिन ज़्यादातर बातें झुनझुना ही हैं।