'जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये' की जड़ता-निष्ठ सामाजिक-व्यक्तिगत चेतना-व्यवस्था में गुणात्मक सुधार (?) की तार्किक परिणति नव-राष्ट्रवाद में हुई, जिसमें किसी दाढ़ी वाले को रोक कर ज़बरन 'वन्दे मातरम' कहलवाया जाता है और इनकार को राष्ट्रद्रोह क़रार दे कर उसे सरेआम पीटा जाता है ताकि उसका रोम-रोम भारतमाता के सम्मान में 'खिल' उठे।
मोदी की मक़बूलियत क्यों?
- विचार
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- 14 Aug, 2020

अब समझ में आ गया होगा कि कैसे एक सर्वे में भूखे –नंगे लोगों वाले भारत में आज छह साल बाद भी 'मोदी' की मक़बूलियत अपूर्व रूप से 77 फ़ीसदी पर जा पहुँची है जबकि देश में बेरोज़गारी, कोरोना और गिरती अर्थव्यवस्था यानी विकास के सभी पैमानों पर देश पिछड़ता जा रहा है।