'जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये' की जड़ता-निष्ठ सामाजिक-व्यक्तिगत चेतना-व्यवस्था में गुणात्मक सुधार (?) की तार्किक परिणति नव-राष्ट्रवाद में हुई, जिसमें किसी दाढ़ी वाले को रोक कर ज़बरन 'वन्दे मातरम' कहलवाया जाता है और इनकार को राष्ट्रद्रोह क़रार दे कर उसे सरेआम पीटा जाता है ताकि उसका रोम-रोम भारतमाता के सम्मान में 'खिल' उठे।