टीकाकरण की लूट और अव्यवस्थाओं को काफी हद तक दूर करने की नरेन्द्र मोदी की घोषणा के बाद सोशल मीडिया की एक बड़ी चर्चा यह भी है कि अब राहुल गांधी का हर कहना प्रधानमंत्री मनने लगे हैं। यह बात माननी मुश्किल है पर यह कामना और उम्मीद करने में हर्ज नहीं है कि खेती सम्बन्धी तीन कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आन्दोलन के सन्दर्भ में भी उनको सदबुद्धि आ जाए और वे अब किसी दिन अचानक इसी तरह इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दें। इन कानूनों का क्या मतलब है, यह किसान और देश समझ चुका है और इसके खिलाफ चल रहा आन्दोलन अब खुद नरेन्द्र मोदी तथा भाजपा को राजनैतिक नुकसान करने लगा है। यह चीज बंगाल चुनाव से भी साफ हुई है लेकिन उससे भी ज्यादा उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों से।
क्या अब कृषि क़ानून भी रद्द होंगे?
- विचार
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- 11 Jun, 2021

मंडी प्रणाली खत्म होगी, अन्याय होने पर किसान अदालत भी न जा पाएंगे और बड़ी कम्पनियों की स्टॉक होल्डिन्ग पर रोक न होगी तो किसान और खेती का क्या हाल होगा, यह नरेन्द्र मोदी और उनकी मंडली को नहीं मालूम होगा, यह मानना तो भोलापन होगा लेकिन अब जब सीधी लड़ाई में किसान बढ़त बना चुके हैं और ज्यादा लम्बी लड़ाई के लिए तैयार लगते हैं।
उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव के नतीजे तो बंगाल से भी ज्यादा अप्रत्याशित थे क्योंकि भले ही भाजपा का शीर्ष नेतृत्व और मीडिया उसे ज्यादा भाव न दे रहा था लेकिन उसके नतीजे आने के बाद सबको उत्तर प्रदेश से भाजपा की विदाई के सिग्नल दिखने लगे हैं। कहना न होगा कि उत्तर प्रदेश के बाद मुल्क से भी मोदी राज को विदा होने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। इसीलिए संघ और भाजपा नेतृत्व उत्तर प्रदेश को लेकर ज्यादा सक्रिय हो गया है।