दुनिया भर में अब तक ज्ञात रूप से 37 लाख से अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और लगभग ढाई लाख लोगों की इससे मौत हो चुकी है। चीन से शुरू होकर यह महामारी भारत समेत दुनिया के लगभग 200 देशों में फैल चुकी है। वैक्सीन या किसी दूसरी कारगर दवा के अभाव में दुनिया के तमाम देशों ने इस बीमारी से निपटने के लिए जो सबसे पहला क़दम उठाया, वह है, पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन का।
प्रवासी मज़दूर घर भी लौट जाएँ तो काम क्या करेंगे और खाएँगे क्या?
- विचार
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- 6 May, 2020

केंद्र और राज्य सरकारें यह दावा कर रही हैं कि इन मज़दूरों को खाने के सामान उपलब्ध कराये जा रहे हैं पर तमाम राज्यों और शहरों से गाँवों की तरफ़ सड़कों पर उमड़ती भीड़ इन दावों की सच्चाई पर गंभीर सवाल खड़ा करती हैं।
भारत में यह लॉकडाउन 24 मार्च से शुरू हुआ जो अब तक जारी है। इस लॉकडाउन के लंबे समय तक खिंचने, काम-धंधों के बंद हो जाने और सार्वजनिक यातायात बंद होने के कारण देश भर में लाखों मज़दूर जो असंगठित क्षेत्र में (ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में) काम करते हैं उनके समक्ष रोज़ी-रोटी और जीविका चलाने की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गयी है। असंगठित क्षेत्र वह क्षेत्र है जिसमें कोई सामाजिक सुरक्षा भुगतान जैसे पेंशन, पेड लीव, जॉब सिक्योरिटी, महँगाई भत्ता और घर का किराया इत्यादि नहीं मिलता।