वैश्विक कोरोना महामारी दुनिया भर में भयावह जन-धन की हानि लेकर आयी है। यह महामारी चीन से शुरू होकर दुनिया के लगभग हर देश में पहुँच गयी है। यह लेख लिखे जाने तक विश्व में ज्ञात रूप से 41 लाख से अधिक लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं और क़रीब 3 लाख लोगों की मृत्यु हो चुकी है। भारत में 30 जनवरी 2020 को सर्वप्रथम केरल में कोरोना वायरस के पहले ज्ञात मरीज़ की पुष्टि हुई। तब से लेकर अब तक लगभग साढ़े तीन महीने में इस महामारी का प्रकोप देश के अन्य राज्यों में लगातार फैलता ही जा रहा है। देश में अब तक कुल 67 हज़ार से अधिक लोग ज्ञात रूप से कोरोना संक्रमित हैं और लगभग 2200 लोगों की मृत्यु हो चुकी है।
बिहार: 10 लाख लोगों पर 328 की ही जाँच, प्रवासी लौटे तो स्थिति कैसे संभलेगी?
- बिहार
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- 11 May, 2020

लॉकडाउन और काम-धंधों के बंद होने से अन्य प्रदेशों से लौटकर आने वाले प्रवासी श्रमिकों और छात्रों के क्वॉरंटीन की समुचित व्यवस्था करना और उनका कोरोना जाँच करवाना भी बिहार के लिए एक बड़ी समस्या है।
भारत में इस महामारी के फैलाव ने देश में स्वास्थ्य और उससे जुड़ी सुविधाओं पर एक नयी बहस छेड़ दी है। क्या भारत या उसके तमाम राज्य इस तेज़ी से फैलती महामारी को रोकने में सक्षम हैं? भारत के तमाम राज्यों में अलग-अलग स्तर की स्वास्थ्य सुविधाएँ हैं। नीति आयोग, वर्ल्ड बैंक और स्वास्थ्य मंत्रालय की संयुक्त रिपोर्ट हेल्दी स्टेट्स, प्रोग्रेसिव इंडिया (2019) के अनुसार केरल में सबसे बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ हैं और उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान नीचे से सबसे ख़राब स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने वाले राज्य हैं। इस लेख में हम बिहार में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं और उसकी कोरोना से लड़ने की क्षमता का विश्लेषण कर रहे हैं।