अमेरिकी राष्ट्रपति के निवास स्थान ‘व्हाइट हाउस’ के सामने की एक सड़क का नाम बदलकर ‘Black Lives Matter’ (अश्वेतों का जीवन मायने रखता है) कर दिया गया है। पाँच जून को दिन के उजाले में बड़े-बड़े शब्दों में समूची चौड़ी सड़क (16th Street) को इन शब्दों से पीले रंग से ढक दिया गया। नाम में कहीं भी अंग्रेज़ी के ‘Also’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है। व्हाइट हाउस की आँखों से आँखें मिलाते हुए ऐसा करने का साहस वाशिंगटन डी.सी. की महापौर (मेयर) मरेल इ. बौसर ने दिखाया है।
गाँधी तो अभी भी प्लेटफ़ॉर्म पर ही हैं, उनका केवल देश बदला है!
- विचार
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- 8 Jun, 2020

हमारे पास इस सवाल का क्या जवाब है कि देश में ही गाँधी के विचारों और आस्थाओं की ‘ज्ञात’ क्षेत्रों के द्वारा रोज़ाना खुलेआम हत्या क्यों हो रही है और दर्ज होने वाली शिकायतों पर क्या कार्रवाई की जा रही है? याद किया जा सकता है कि सात जून 1893 को महात्मा गाँधी को दक्षिण अफ़्रीका के एक रेलवे स्टेशन पर धक्के देकर प्लेटफ़ॉर्म पर फेंका गया था। गाँधी अभी भी प्लेटफ़ॉर्म पर ही हैं। देश बदल गए हैं।
दुनिया भर की सत्ताओं को अपनी अँगुलियों पर नचाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति अपने ही शहर और देश की राजधानी की महापौर के इस साहसिक क़दम को रोक नहीं पाए। उनका क़ाफ़िला अब जितनी भी बार इस सड़क से गुज़रेगा जॉर्ज फ़्लायड नामक एक साधारण से अश्वेत नागरिक की एक गोरे पुलिसकर्मी के घुटने के नीचे हुई मौत का दृश्य टकराता रहेगा। शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को सड़कों से खदेड़ने के लिए राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड का इस्तेमाल करने का फ़ैसला ले लिया है पर सड़क पर लिखा हुआ नाम अब हमेशा क़ायम रहने वाला है।