मैं ‘सम्पूर्ण क्रांति दिवस’ 5 जून 1974 के उस ऐतिहासिक दृश्य का स्मरण कर रहा हूँ जो पटना के प्रसिद्ध गाँधी मैदान में उपस्थित हुआ था और मैं जयप्रकाशजी के साथ मंच के निकट से ही उस क्रांति की शुरुआत देख रहा था जिसने अंततः वर्ष 1977 में दिल्ली में इंदिरा गाँधी की सत्ता को पलट कर रख दिया था। इसके एक दिन पहले 4 जून को पटना की सड़कों पर कांग्रेस हुकूमत की ओर से जो हिंसा की गई थी मैं उसका ज़िक्र यहाँ नहीं कर रहा हूँ। मैं उन दिनों पटना में रहते हुए जयप्रकाशजी के साथ क़दम कुआँ स्थित निवास पर उनके काम में सहयोग कर रहा था और कोई एक साल उनके सान्निध्य में रहने और काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
‘कुर्सियों पर बैठते हो! आग तो तुम्हारी कुर्सियों के नीचे सुलग रही है’
- विचार
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- 6 Jun, 2020

पाँच जून को गाँधी मैदान में दिए जे.पी. के ‘सम्पूर्ण क्रांति ‘के उद्गघोष के बाद देश की राजनीति की धारा ही बदल गई। पाँच जून के बाद दिल्ली में जनता पार्टी की सरकार क़ायम होने तक का भी एक लम्बा इतिहास और सफ़र है और उस इतिहास को एक साक्षी के रूप में बनते हुए देखने का भी मुझे गर्व है।