लोक नायक जयप्रकाश नारायण (जेपी) की पुण्यतिथि के तीन दिन बाद यानी ग्यारह अक्टूबर को उनकी जयंती होती है। सोचा जा सकता है कि वे आज अगर हमारे बीच होते तो क्या कर रहे होते! 1974 के ‘बिहार आंदोलन’ में जो अपेक्षाकृत छोटे-छोटे नेता थे, आज वे ही बिहार और केंद्र की सत्ताओं में बड़ी-बड़ी राजनीतिक हस्तियाँ हैं। कल्पना की जा सकती है कि जेपी अगर आज होते और 1974 जैसा ही कोई आह्वान करते (‘सिंहासन ख़ाली करो कि जनता आती है‘) तो कितने नेता अपने वर्तमान शासकों को छोड़कर उनके साथ सड़कों पर संघर्ष करने का साहस जुटा पाते! ऐसा कर पाना शायद उस ज़माने में काफ़ी आसान रहा होगा!