जिन तालिबानों को अमेरिका 'अच्छे' और 'बुरे' दो अलग-अलग श्रेणी के तालिबान बताकर और अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने से पूर्व स्वयं तथाकथित 'अच्छे तालिबानों' से बातचीत करता रहा और अमेरिका के अफ़ग़ानिस्तान छोड़ते ही अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता जिन तालिबानों के हाथ लगी, अब धीरे धीरे वही तालिबान अपने वास्तविक रूप में आकर यह प्रमाणित करने लगे हैं कि दरअसल तालिबानों में 'अच्छा तालिबानी' कोई नहीं। बल्कि सभी महिला विरोधी, मानवाधिकारों के दुश्मन, क्रूर तथा कट्टरपंथी अतिवादी विचारधारा रखने वाले एक ही तालिबानी हैं।
अफ़ग़ानिस्तान: धर्मान्धता की राह पर चलने वाले देशों के लिये मिसाल?
- विचार
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- 10 Apr, 2022

अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान क्या देश को दशकों पीछे धकेल रहा है? आख़िर वह ऐसे दकियानूसी विचार क्यों थोप रहा है जो क्रूर, महिला विरोधी, मानवाधिकारों के ख़िलाफ़ है?
ये वही तालिबानी हैं जिन्होंने अपनी कट्टरता का सबसे बड़ा सुबूत मार्च 2001 में बामियान में बुद्ध की दो विशालकाय मूर्तियों को नष्ट कर के दिया था। बताया जाता है- ‘जब तालिबान अपने टैंक, विमानभेदी तोपों तथा टैंकों के गोले दाग़ने के बावजूद पथरीले पहाड़ों में उकेरी गई दुनिया की सबसे प्राचीन, मज़बूत व ऊँची बुद्ध प्रतिमाओं को पूरी तरह नष्ट नहीं कर सके तो वे कई ट्रकों में डाइनामाइट भर कर लाए और उन्हें उन मूर्तियों में ड्रिल कर भर दिया।' क्रूर कट्टर तालिबान इन मूर्तियों को नष्ट करने के लिए इतने उतावले थे कि उन्होंने लगभग एक महीने तक उन्हें नष्ट करने की प्रक्रिया जारी रखी। तालिबानी क्रूरता व कट्टरपंथ की यह ख़बर उन दिनों पूरे विश्व में प्रसारित होती रही।