भारत ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को चाबहार पोर्ट से कारोबार की पेशकश की है। विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान डिवीजन के संयुक्त सचिव जेपी सिंह के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने 4-5 नवंबर को काबुल का दौरा किया। जहां उन्होंने तालिबान सरकार के मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब से भी मुलाकात की।
अफगानिस्तान में तालिबान ने पिछले हफ्ते नए कानून की घोषणा की, जिसमें रोजमर्रा की जिन्दगी के लिए महिलाओं के लिए 35 नियम बनाए गए हैं। इनमें एक नियम यह भी है कि महिलाओं के चेहरे, शरीर और आवाज को घर के बाहर पूरी तरह "कवर" किया जाना चाहिए। इस पर कुछ अफगान महिलाओं ने आपत्ति जताई और गाना गाते हुए अपना वीडियो ऑनलाइन पोस्ट किया। इसकी प्रतिक्रिया में दुनिया में जहां-जहां अफगान महिलाएं रह रही हैं, उनमें से कुछ ने अपने वीडियो पोस्ट किए। जानिए पूरी कहानीः
अफगानिस्तान में तेल खुदाई के लिए तालिबान सरकार और चीन ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत इसकी अनदेखी नहीं कर सकता, क्योंकि भारत ने अफगानिस्तान में शुरू से ही निवेश किया। लेकिन तालिबान का झुकाव चीन की तरफ ज्यादा बढ़ रहा है। जानिए घटनाक्रमः
अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान क्या देश को दशकों पीछे धकेल रहा है? आख़िर वह ऐसे दकियानूसी विचार क्यों थोप रहा है जो क्रूर, महिला विरोधी, मानवाधिकारों के ख़िलाफ़ है?
आख़िर अफ़ग़ानिस्तान में नई सरकार बन गयी । क्या ये तालिबान की सरकार है या पाकिस्तान की या आतंकवादियों की ? कितने दिन चलेगी ये सरकार ? आशुतोष के साथ चर्चा में शिवकांत, कबीर तनेजा, धनंजय त्रिपाठी, ऊमर अल्ताफ़ और विनोद अग्निहोत्री ।
अफ़ग़ानिस्तान में सरकार गठन का नया फॉर्मूला आया है। क्या पाकिस्तान ने यह नया फॉर्मूला दिया? अब रिपोर्ट है कि बेहद कम चर्चित नेता मुल्ला हसन अखुंद को अफ़ग़ानिस्तान का प्रधानमंत्री बनाया जा सकता है।
अफ़ग़ानिस्तान में सरकार बनाने के काम में जुटे तालिबान ने इस बार बदला हुआ रूप दिखाया है। तालिबान को सरकार चलानी है तो दुनिया भर के देशों का समर्थन हासिल करना ही होगा।