अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने चीन की कंपनी के साथ तेल खुदाई समझौते पर शुक्रवार को हस्ताक्षर किए हैं। तालिबान का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहला समझौता है। ब्लूमबर्ग ने यह जानकारी दी। हालांकि इस समझौते को भारत के संदर्भ में भी समझा जाना चाहिए। अफगानिस्तान में भारत ने काफी निवेश किया है। बीच में तालिबान ने कहा भी था कि वो भारत के साथ रिश्ते बेहतर रखना चाहता है कि लेकिन जब किसी समझौते की बारी आई तो उसने चीन को महत्व दिया। तालिबान के रुख से लग रहा है कि उसका झुकाव चीन की तरफ है। इस तरह अब चीन को दो महत्वपूर्ण देश दोस्त के रूप में मिल गए हैं। ये हैं चीन और ईरान। इस एशियाई महाद्वीप की सामरिक स्थिति बदल सकती है। पाकिस्तान के ग्वादर में चीन पहले से ही पोर्ट का निर्माण कर रहा है। जिसमें तालिबान बाधा बनते थे, क्योंकि वो जगह अफगानिस्तान की सीमा पर है। अब चीन को पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट को पूरा करने में आसानी होगी।