पिछले दिनों संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय गृह/सहकारिता मंत्री एवं राजभाषा समिति के अध्यक्ष अमित शाह ने हिंदी भाषा को अंग्रेज़ी भाषा के विकल्प के रूप में स्वीकार करने की आवश्यकता जताई।
उन्होंने कहा कि हिंदी को स्थानीय भाषाओं के विकल्प के रूप में नहीं बल्कि अंग्रेज़ी भाषा के विकल्प के रूप में स्वीकार करना चाहिए। इसी दौरान शाह ने यह भी बताया कि अब कैबिनेट के एजेंडे का 70 प्रतिशत भाग हिंदी में तैयार किया जाता है।
अमित शाह जी - हिंदी प्रेम या केवल 'पर उपदेश'
- विचार
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- 16 Apr, 2022

गृह मंत्री अमित शाह ने एक बार फिर हिंदी में बातचीत करने पर जोर दिया है लेकिन क्या वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनकी सरकार, राज्यों की बीजेपी सरकारें अंग्रेजी के बजाय हिंदी को ही संपर्क भाषा बनाना चाहती हैं या सिर्फ इसका दिखावा किया जा रहा है?
अमित शाह ने कहा कि अलग-अलग राज्यों के लोगों को आपस में हिंदी में बातचीत करनी चाहिए, अंग्रेज़ी में नहीं। शाह ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्णय किया है कि सरकार चलाने का माध्यम राजभाषा है और इससे निश्चित रूप से हिंदी का महत्व बढ़ेगा।
अमित शाह ने इससे पूर्व वर्ष 2019 में हिंदी दिवस के दौरान अपने भाषण में 'एक राष्ट्र, एक भाषा' की भी चर्चा की थी।
अमित शाह ने इससे पूर्व वर्ष 2019 में हिंदी दिवस के दौरान अपने भाषण में 'एक राष्ट्र, एक भाषा' की भी चर्चा की थी।