भारत और चीन के सैनिकों की बीच हुई मुठभेड़ और उसके कारण हताहतों की ख़बर ने देश के कान खड़े कर दिए। इस मुठभेड़ में 20 भारतीय फ़ौजी मारे गए और माना जा रहा है कि चीन के चार या पाँच फ़ौजी मारे गए। आश्चर्य की बात यह है कि ये मौतें तो हुईं लेकिन उन जवानों के बीच हथियारों का इस्तेमाल नहीं हुआ। हथियारों का इस्तेमाल नहीं हुआ, गोलियाँ नहीं चलीं, तोपें नहीं दागी गईं लेकिन दोनों तरफ़ के जवान मारे गए। तो क्या उन लोगों के बीच हाथापाई हुई? क्या उन लोगों ने एक-दूसरे का दम घोट दिया या गलवान घाटी में धक्का दे दिया?
भारत-चीन मुठभेड़: भारत सरकार की कोई दो-टूक प्रतिक्रिया क्यों नहीं आई?
- विचार
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- 17 Jun, 2020

दोनों देशों की सरकारें इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर संयत रुख अपनाना चाह रही हैं। दोनों देशों की सरकारें अपने-अपने राजदूतों से अब तक सारा विवरण ले चुकी होंगी। शायद दोनों सरकारें बहुत ही सम्भलकर अपनी प्रतिक्रियाएँ देना चाह रही होंगी, क्योंकि पिछले कई दशकों से भारत-चीन सीमा पर ऐसी हिंसक घटनाएँ नहीं घटीं, जबकि दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे की सीमाओं में भूल-चूक से आते-जाते भी रहे।