भारत और चीन के सैनिकों की बीच हुई मुठभेड़ और उसके कारण हताहतों की ख़बर ने देश के कान खड़े कर दिए। इस मुठभेड़ में 20 भारतीय फ़ौजी मारे गए और माना जा रहा है कि चीन के चार या पाँच फ़ौजी मारे गए। आश्चर्य की बात यह है कि ये मौतें तो हुईं लेकिन उन जवानों के बीच हथियारों का इस्तेमाल नहीं हुआ। हथियारों का इस्तेमाल नहीं हुआ, गोलियाँ नहीं चलीं, तोपें नहीं दागी गईं लेकिन दोनों तरफ़ के जवान मारे गए। तो क्या उन लोगों के बीच हाथापाई हुई? क्या उन लोगों ने एक-दूसरे का दम घोट दिया या गलवान घाटी में धक्का दे दिया?
आख़िर हुआ क्या, यह शाम तक पता नहीं चला। यह मुठभेड़ 5-6 मई को धक्का-मुक्की से ज़्यादा ख़तरनाक सिद्ध हुई है। भारतीय टीवी चैनलों को चीनी सैनिकों के मरने की ख़बर चीनी अख़बार ‘ग्लोबल टाइम्स’ से मिली। उसके संपादक ने ट्वीट करके यह बताया और यह ख़बर भी दी कि चीन इस मामले को तूल नहीं देना चाहता है। वह बातचीत जारी रखेगा।
वैसे ‘ग्लोबल टाइम्स’ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का ऐसा अख़बार है, जो बेहद आक्रामक और बड़बोला है लेकिन आज उसका स्वर थोड़ा नरम मालूम पड़ रहा है? इससे क्या अंदाज़ लगता है? क्या यह नहीं कि गलवान घाटी के आस-पास जो दुखद घटना घटी है, उसमें ज़्यादती चीन की तरफ़ से हुई होगी। यह घटना रात को घटी है। अभी तक पता नहीं चला है कि यह कितने बजे हुई, ठीक-ठीक कहाँ हुई और उसका तात्कालिक कारण क्या था?
इतने घंटे बीत जाने पर भी भारत सरकार की कोई दो-टूक प्रतिक्रिया इस घटना पर अभी तक क्यों नहीं आई? हमारे रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री अभी आपस में विचार कर रहे हैं कि इस घटना के बारे में सार्वजनिक रूप से क्या कहा जाए?
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