देश इस समय एक नए क़िस्म की व्यवस्था की स्थापना के प्रयोग से गुजर रहा है! व्यवस्था यह है कि नागरिकों को शासन के निर्णयों, उसके कामों और उसके द्वारा दी जाने वाली सज़ाओं पर किसी भी तरह के सवाल नहीं उठाना है, कोई भी हस्तक्षेप नहीं करना है। फिर एक राष्ट्र के रूप में शासन किसी भी अन्य देश की हुकूमत के द्वारा उसके अपने नागरिकों के अधिकारों पर किए जाने वाले प्रहारों, और उन्हें दी जाने वाली सज़ाओं को लेकर भी कोई विरोध या हस्तक्षेप नहीं करेगा।’ वसुधैव कुटुम्बकम’ की अब यही नई परिभाषा बनने वाली है!
पड़ोसी देशों में दमन: न तो हस्तक्षेप करूँगा, न किसी को करने दूँगा!
- विचार
- |
- |
- 19 Mar, 2021
हम अन्य मुल्कों में लोकतंत्र पर होने वाले प्रहारों, बढ़ते अधिनायकवाद और विपक्ष की आवाज़ को दबाने वाली घटनाओं पर इरादतन चुप रहना चाहते हैं। ऐसा इसलिए कि जब इसी तरह की घटनाएँ हमारे यहाँ हों तो हमें भी किसी बाहरी सत्ता या नागरिक का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं होगा। किसी के द्वारा ऐसा किया गया तो उसे हमारे आंतरिक मामलों में अनधिकृत हस्तक्षेप माना जाएगा।
हमारे पड़ोसी देश म्यांमार (बर्मा) में इन दिनों उथल-पुथल मची हुई है। वहाँ लोकतंत्र की बहाली को लेकर सैन्य हुकूमत की तानाशाही के ख़िलाफ़ आंदोलनकारियों ने सड़कों को पाट रखा है। उन पर गोलियाँ चलाई जा रही हैं। हज़ारों लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है और डेढ़ सौ मारे जा चुके हैं। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता तथा भारत की अभिन्न मित्र आंग सान सू ची भी किसी अज्ञात स्थान पर क़ैद हैं। एक फ़रवरी को वहाँ हुई तख्ता पलट की कार्रवाई के बाद सेना ने सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लोकतंत्र को समाप्त कर दिया था।