म्यांमार में उथल-पुथल मची हुई है। सैन्य हुकूमत की तानाशाही के ख़िलाफ़ आंदोलनकारियों ने सड़कों को पाट रखा है। उन पर गोलियाँ चलाई जा रही हैं। डेढ़ सौ मारे जा चुके हैं। भारत से कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं है?
एक फ़रवरी को तख्ता पलटने के बाद से म्यांमार के फौजी शासकों ने बर्मी जनता का जो दमन शुरू किया था, उसकी तीव्रता बढ़ती जा रही है और वह अधिक हिंसक होता जा रहा है।
म्यांमार में फिर से तब सैन्य तख्तापलट की आशंकाएँ छा गईं जब देश की नेता आंग सान सू ची और सत्ताधारी पार्टी के दूसरे नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। कई दिनों से सरकार और शक्तिशाली सेना के बीच तनाव चला आ रहा है।