एक फ़रवरी को तख्ता पलटने के बाद से म्यांमार के फौजी शासकों ने बर्मी जनता का जो दमन शुरू किया था, उसकी तीव्रता बढ़ती जा रही है और वह अधिक हिंसक होता जा रहा है। दुनिया भर में हो रही निंदा-भर्त्सना का उन पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। हाँ, वे अपनी तरफ़ से पूरा संयम बरतने का झूठा दावा करके दुनिया को भरमाने की नाकाम कोशिशें ज़रूर कर रहे हैं।
म्यांमार: फौजी शासन, दमन का दौर कब तक चलेगा?
- दुनिया
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- 5 Mar, 2021

तो क्या म्यांमार की जनता को एक बार फिर से लंबे सैनिक शासन के लिए तैयार हो जाना चाहिए? नए शासकों ने कहा है कि वे साल भर के अंदर नए चुनाव कराएँगे। लेकिन उनके इस वादे पर किसी को भरोसा नहीं है, इसलिए संघर्ष जारी रहेगा। बर्मियों को सैन्य शासकों से लड़ने का लंबा अभ्यास हो गया है। साथ ही पिछले पाँच सालों में नियंत्रित लोकतंत्र ने उनमें लोकतंत्र और आज़ादी की भूख को और भी बढ़ा दिया है।
इसकी ताज़ा मिसाल है बुधवार को देश के यांगोन और मंडालय समेत कई शहरों में प्रदर्शनकारियों पर किया गया बेरहम बल प्रयोग। इस कार्रवाई में चालीस से ज़्यादा लोगों के मारे जाने की ख़बर है।
शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे बर्मियों पर पुलिस और सेना ने बड़ी निर्ममता से लाठियाँ और गोलियाँ चलाई हैं। इन तमाम घटनाओं के सैकड़ों वीडियो दुनिया भर में उपलब्ध हैं, जो बताते हैं कि फौजी शासकों द्वारा संयम बरतने के तमाम दावे झूठे हैं।