तीस जनवरी 1948 के दुर्भाग्यपूर्ण दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या अगर एक कट्टर हिंदू नाथूराम गोडसे के बजाय किसी मुसलिम सिरफिरे ने कर दी होती तो आज़ाद भारत की तसवीर आज किस तरह की होती! क्या वह वैसी ही बदहवास होती जैसी कि आज दिखाई पड़ रही है अथवा कुछ भिन्न होती?
‘मोहन’ के देश में ‘आसिफ़’ के साथ बेरहमी!
- विचार
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- 23 Mar, 2021

पैंसठ सालों के बाद आज भी ‘मोहन’ पानी की तलाश में इधर से उधर भटक रहा है। फ़र्क़ बस यह हुआ है कि बदली हुई परिस्थितियों में स्क्रिप्ट की माँग के चलते ‘मोहन’ अब ‘आसिफ़’ हो गया है। डासना के मंदिर में पानी की तलाश में पहुँचे मुसलिम बच्चे पर भी वही आरोप लगाया गया है कि वह चोरी के इरादे से घुसा था।
देश की राजधानी दिल्ली की नाक के नीचे बसे ग़ाज़ियाबाद ज़िले के एक गाँव डासना में स्थित देवी के मंदिर में पानी की प्यास बुझाने के लिए प्रवेश करने वाले एक मासूम तरुण की ज़बरदस्त तरीक़े से पिटाई की जाती है; उसे बेरहमी के साथ मारने वाला अपने क्रूर कृत्य का वीडियो बनवाता है और उसे सोशल मीडिया पर वायरल भी कर देता है। बच्चे का क़ुसूर सिर्फ़ इतना होता है कि वह उक्त मंदिर पर लगे बोर्ड को नहीं पढ़ पाता है कि वह हिंदुओं का पवित्र स्थल है। वहाँ मुसलमानों का प्रवेश वर्जित है। शायद यह क़ुसूर भी हो कि बच्चा पास के ही गाँव में रहने वाले एक ग़रीब मुसलिम का बेटा है।