प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा को लेकर मीडिया में बड़ा उत्साह है। 21-24 जून के बीच हो रही इस इस ‘राजकीय यात्रा’ के ज़रिए दुनिया के दो बड़े लोकतांत्रिक देशों के बीच रिश्तों का नया दौर बताया जा रहा है, लेकिन नेपथ्य में बहुत कुछ ऐसा हो रहा है जिसकी छाया दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र बतौर भारत की प्रतिष्ठा पर पड़ रहा है। मीडिया से यह बात लगभग गोल है कि अमेरिका के तमाम मानवाधिकार संगठन पीएम मोदी की इस यात्रा का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में चलने वाली भारत सरकार और आरएसएस की जुगलबंदी ने भारत के वंचित समुदायों, खासतौर पर अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने का अभियान चलाया हुआ है। यहाँ तक कि इसके लिए क़ानूनी प्रावधान भी किये जा रहे हैं।