प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा को लेकर मीडिया में बड़ा उत्साह है। 21-24 जून के बीच हो रही इस इस ‘राजकीय यात्रा’ के ज़रिए दुनिया के दो बड़े लोकतांत्रिक देशों के बीच रिश्तों का नया दौर बताया जा रहा है, लेकिन नेपथ्य में बहुत कुछ ऐसा हो रहा है जिसकी छाया दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र बतौर भारत की प्रतिष्ठा पर पड़ रहा है। मीडिया से यह बात लगभग गोल है कि अमेरिका के तमाम मानवाधिकार संगठन पीएम मोदी की इस यात्रा का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में चलने वाली भारत सरकार और आरएसएस की जुगलबंदी ने भारत के वंचित समुदायों, खासतौर पर अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने का अभियान चलाया हुआ है। यहाँ तक कि इसके लिए क़ानूनी प्रावधान भी किये जा रहे हैं।
मानवाधिकार पर पीएम की अमेरिका यात्रा का विरोध भारत की प्रतिष्ठा पर सवाल!
- विचार
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- 20 Jun, 2023

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की राजकीय यात्रा पर रवाना हुए हैं तो कई संगठन इसका विरोध कर रहे हैं? जानिए, पीएम मोदी की यात्रा का विरोध कर रहे मानवाधिकार संगठनों की क्या माँग है।
ठीक उस समय जब भारतीय मीडिया मोदी की अमेरिकी यात्रा को लेकर ढोल बजा रहा है, अमेरिका के सत्रह अल्पसंख्यक, दलित और मानवाधिकार संगठनों के नेटवर्क ने इस यात्रा के विरोध का पूरा कार्यक्रम घोषित किया है। इसके तहत जगह-जगह विरोध प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे। इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल, हिंदूज़ फ़ॉर ह्यूमन राइट्स और दलित सॉलिडेरिटी इंक समेत सत्रह संगठनों का यह नेटवर्क भारत में मानवधिकार हनन, ख़ासतौर पर मुस्लिमों और दलितों पर बढ़ते अत्याचारों के लिए मोदी के नेतृत्व में चलाई जा रही सरकार को सीधे ज़िम्मेदार ठहराते हुए यात्रा का विरोध कर रहा है। इन संगठनों की ओर से अमेरिकी सरकार के नाम एक खुला पत्र जारी किया गया है जिसमें भारत में जारी मानवाधिकार हनन, खासतौर पर अल्पसंख्यकों के नागरिक अधिकारों को छीने जाने को संज्ञान में लेने की अपील की गयी है।