सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में नफ़रती भाषणों पर महाराष्ट्र सरकार की चुप्पी से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि “राज्य नपुसंक हैं। वे समय पर काम नहीं करते। जब राज्य ऐसे मसलों पर चुप्पी साध लेंगे तो फिर उनके होने का मतलब क्या है?” जस्टिस के.एम.जोसेफ़ और जस्टिस बी.वी.नागरत्ना की बेंच ने कहा कि “अदालत ने कहा कि जिस वक्त राजनीति और धर्म से अलग हो जाएँगे और नेता राजनीति में धर्म का उपयोग बंद कर देंगे, ऐसे भाषण समाप्त हो जाएँगे। हम अपने हालिया फ़ैसलों में भी कह चुके हैं कि पॉलिटिक्स को राजनीति के साथ मिलाना लोकतंत्र के लिए ख़तरनाक है।”
मी लॉर्ड! हेट स्पीच पर चुप्पी 'नपुंसकता' नहीं अपराध है!
- विचार
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- 29 Mar, 2025
हेट स्पीच के खिलाफ भारत में कानून भी है और अदालत की नजर भी रहती है। हाल ही में भारत के चीफ जस्टिस ने हेट स्पीच पर कहा कि ऐसा करने वाले नपुंसक हैं लेकिन दरअसल ऐसी प्रवृत्ति के लोग आपराधिक सोच वाले हैं, उन्हें नपुंसक बताना एक तरह से उन्हें स्वीकार करना हो गया।
