मात्र सत्ता में बने रहने के लिये देश में सत्ता के संरक्षण में एक विशेष सांप्रदायिक विचारधारा द्वारा देश में बहुसंख्यकवाद का जो ख़तरनाक खेल खेला जा रहा है, वह उस भारत वर्ष के अस्तित्व व धारणा के बिल्कुल विपरीत है जिसकी वजह से देश को 'अनेकता में एकता' रखने वाले विश्व के सबसे बड़े व लोकप्रिय लोकतंत्र के रूप में दुनिया जानती रही है। सांप्रदायिक सौहार्द भारत की रगों में प्रवाहित होने वाला वह स्वभाव है, जिसे तमाम कोशिशों के बावजूद समाप्त नहीं किया जा सकता।