रात गई और बात गई। 12 मई को सरकार ने गेहूं के निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए टास्क फोर्स बनाने की घोषणा की थी। यह भी कहा गया था कि एक लिए एक प्रतिनिधिमंडल नौ देशों का दौरा करेगा। इसके पहले लगातार बताया जा रहा था कि यूक्रेन संकट के बाद भारतीय गेहूं की मांग दुनिया भर में बढ़ रही है। लेकिन अगले ही दिन खबर आई कि कल रात तक जिस निर्यात को प्रोत्साहित किया जा रहा था, सुबह उस पर पाबंदी लगा दी गई।
सरकार ने निर्यात के लिए जो टास्क फोर्स बनाया था उसमें रेल विभाग के लोग भी शामिल किए गए थे ताकि रेलवे द्वारा विभिन्न जगहों से गेंहूं को बिना किसी बाधा के बंदरगाहों तक पहुंचाया जा सके। तभी पता पड़ा कि रेलवे ने अचानक ही गेहूं के लिए भाड़ा बढ़ा दिया है। हालांकि इससे अंदाज नहीं लग सका था कि प्रोत्साहन योजना उलटी दिशा में जा रही है।

गेहूं निर्यात पर सरकार की दोगली नीति सामने आई है। एक तरफ उसने गेहूं निर्यात को बढ़ावा देने के लिए टास्क फोर्स बनाई तो दूसरी तरफ गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया।