राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले हर शख़्स को पता है कि कांग्रेस बीमार है। कई सालों से बीमार है। कांग्रेसियों को पता है कि बीमारी क्या है, कितनी गम्भीर है, बीमारी का इलाज़ क्या है और इसे कब तथा कैसे करना है? इतनी सी बात में कोई ख़बर नहीं है।
अर्थव्यवस्था का बुरा हाल, डैमेज़ कंट्रोल में जुटा संघ
- विचार
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- 12 Sep, 2020

मुमकिन है कि अगले कैबिनेट विस्तार में वित्त मंत्रालय की ज़िम्मेदारी किसी और को थमाकर निर्मला सीतारमण को बलि का बकरा बना दिया जाए। राजनीति में ऐसे नुस्ख़ों को आसान उपायों की तरह देखा जाता है। इसे पार्टी और संघ ऐसे पेश करेंगे कि मोदी जी तो अद्भुत हैं ही, वित्त मंत्री ही नाक़ाबिल थीं, इसलिए उन्हें बदल दिया गया। अब देखना सब ठीक हो जाएगा। राजनीति ऐसे ही नुस्ख़ों का खेल है।
ख़बर के अन्दर की बात तो ये है कि कांग्रेस की बीमारी को लेकर, उसके परिवारवाद और वंशवाद को लेकर, तमाम योजनाओं और भवन-मार्ग वग़ैरह के नाम नेहरू-गांधी परिवार के लोगों के नाम पर क्यों हैं, जैसी बातों को लेकर सबसे ज़्यादा परेशान वे लोग हैं जिन्होंने 2019 और 2014 में कांग्रेस को वोट ही नहीं दिया था।
मुकेश कुमार सिंह स्वतंत्र पत्रकार और राजनीतिक प्रेक्षक हैं। 28 साल लम्बे करियर में इन्होंने कई न्यूज़ चैनलों और अख़बारों में काम किया। पत्रकारिता की शुरुआत 1990 में टाइम्स समूह के प्रशिक्षण संस्थान से हुई। पत्रकारिता के दौरान इनका दिल्ली