भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव ने पिछले दिनों लिखे अपने एक आलेख में वर्ष 1982 की बहुचर्चित अंग्रेज़ी फ़िल्म ‘Sophie’s Choice’ का ज़िक्र किया था। फ़िल्म विश्वयुद्ध के दौरान यहूदियों पर हुए अत्याचारों का मार्मिक चित्रण करती है। फ़िल्म में पोलैंड की एक यहूदी माँ के हृदय में मातृत्व को लेकर चलने वाले इस द्वंद्व का वर्णन है कि वह अपने दो बच्चों में से किसे ‘गैस चेम्बर’ में भेजने की अनुमति दे और किसे ‘लेबर कैम्प‘ में ले जाए जाने की। सुब्बाराव का आलेख इन संदर्भों में है कि सोफ़ी की तरह ही इस कठिन समय में सरकार के समक्ष भी विकल्प चुनने का संकट है कि लोगों की ‘ज़िंदगी’ और ‘रोज़ी-रोटी’ में से पहले किसे बचाए? मौजूदा संकट को भी एक युद्ध ही बताया गया है।