क्यों देश में रिटायर हो रहे हैं बेरोजगार? बेरोजगार और रिटायर ऐसा कैसे हो सकता है! रिटायर तो वो होता है जो रोजगार में होता है। आम सोच यही है। मगर, जमीनी सच्चाई यह है कि बेरोजगार भी रिटायर होता है। और, हिन्दुस्तान में ऐसे बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ती चली जा रही है जो रिटायर हो रहे हैं। हालांकि बेरोजगार रिटायर्ड लोगों को इसका कोई लाभ नहीं मिलता। वे हताश और निराश होते हैं।
बेरोजगारों के रिटायर्ड होने की समस्या को समझना हो तो पहले समझना होगा कि बेरोजगार कौन होते हैं। सिर्फ रोजगार में नहीं होना बेरोजगारी नहीं होती। रोजगार में न होकर रोजगार की लालसा रखना, उसके लिए कोशिश करना और कोशिश करने के बावजूद रोजगार नहीं मिलना- यही वह स्थिति है जब रोजगार खोजते लोग बेरोजगार कहलाते हैं।
बेरोजगारों की एक और श्रेणी भी है जहां से लगातार लोग ‘रिटायर’ हो रहे हैं। ऐसे लोगों को कुछ सालों की नौकरी के बाद जबरिया नौकरी से हटा दिया जाता है। नौकरी छूटते ही वे बेरोजगार हो जाते हैं। मगर, एक उम्र बीत जाने के बाद जब उन्हें नौकरी नहीं मिलती और वे नौकरी खोजना भी बंद कर देते हैं तो यही लोग ‘रिटायर्ड’ बेरोजगार हो जाते हैं।
घर बैठने लगे हैं रोजगार खोजने वाले
बेरोजगार वे होते हैं जो रोजगार खोज रहे होते हैं लेकिन जिन्हें रोजगार नहीं मिलता। ऐसे लोगों की संख्या हमेशा से बनी रही है। मगर, अब रोजगार खोजने वालों की संख्या में कमी आने लगी है। इसका मतलब यह है कि ऐसे लोग रोजगार खोजते-खोजते थक चुके हैं, निराश हो चुके हैं और इसलिए घर बैठ गये हैं। इसे ‘टायर्ड’ होकर ‘रिटायर्ड’ होना भी कह सकते हैं यानी थक कर रोजगार खोजने के कृत्य से खुद को दूर कर लेना।
सीएमआईई का आंकड़ा कहता है कि 2021-22 में 40.18 करोड़ लोगों के पास रोजगार हैं। 2019-20 में यह संख्या थी 40 करोड़ 89 लाख। इसका मतलब यह है कि 71 लाख लोग बीते दो साल में रोजगार से दूर हो गये। ये कहां गये? जी हां- ‘रिटायर्ड’ हो गये। बिना रिटायर्डमेंट बेनिफिट यानी सेवानिवृत्ति लाभ लिए बगैर ये ‘रिटायर' हो गये।
बेरोजगारी में मामूली बढ़ोतरी!
बेरोजगारों की संख्या 2019-20 में 3 करोड़ 29 लाख थी जो 2021-22 में बढ़कर 3 करोड़ 33 लाख हो गयी। इस तरह इन दो सालों में बेरोजगारों की संख्या केवल चार लाख बढ़ी।
श्रम बल जो 2019-20 में 44 करोड़ 18 लाख था वह 2021-22 में 43 करोड़ 52 लाख रह गया। इस तरह श्रम बल में 66 लाख की कमी आयी।
रोजगार में लगे लोगों की तादाद का घटना, बेरोजगार हुए लोगों की संख्या का बढ़ना और श्रमबल में कमी। ये तीनों घटनाएं कम से कम तीन बातें बता रही हैं-
- देश में नौकरी के अवसर घटे हैं।
- लोगों ने नौकरी खोजना बंद कर दिया है।
- रोजगार में रहे लोग चुपके से ‘रिटायर्ड’ होने लगे हैं।
युवाओं में रोजगार को लेकर निराशा
एक और महत्वपूर्ण बात स्पष्ट हो रही है कि नये युवाओं में भी रोजगार के लिए उत्साह नहीं है या फिर वे निराश हैं। ऐसा इसलिए कि श्रम बल में स्वाभाविक बढ़ोतरी भी नहीं दिख रही है। हालांकि इसकी एक और वजह हो सकती है कि जो पहले से श्रम बल का हिस्सा हैं वे नौकरी से बाहर हो रहे हैं। और, संभवत: इसी वजह से नये युवा जो श्रम बल में शामिल हो रहे हैं उनकी संख्या स्पष्ट रूप से नज़र नहीं आ रही है।
हरेक साल भारत में 1.25 करोड़ लोग श्रम बल में शामिल होते हैं यानी रोजगार खोजने वाली भीड़ में शामिल होते हैं। मगर, इस हिसाब से रोजगार सृजित नहीं हो पाते। इसका मतलब यह है कि 2019-20 से 2021-22 के दौरान 2.5 करोड़ लोग श्रम बल में शामिल हुए। फिर भी अगर इन दो सालों में 66 लाख श्रम बल घट गया, तो रोजगार से रिटायर होने वालों की संख्या इन दो सालों में 3.16 (2.5 करोड़+66 लाख) करोड़ हुई।
महिला बेरोजगारों में ‘रिटायर्ड’ होने की प्रवृत्ति ज्यादा
2017 से 2022 के बीच 5 साल में श्रम बल भागीदारी 46 प्रतिशत से गिरकर 40 प्रतिशत के स्तर पर आ गयी है।
50 से ऊपर की उम्र वाले नौकरी में 25 फीसदी!
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक 15-29 साल के युवाओं में 2016 के मुकाबले 2021 में 30 फीसदी रोजगार की कमी आयी है। जबकि, 50-59 साल के बुजुर्गों की रोजगार में हिस्सेदारी 16 फीसदी से बढ़कर 25 फीसदी हो गयी है। इसका मतलब यह नहीं है कि बुजुर्गों की नियुक्तियां हो रही हैं।
इसका मतलब साफ है कि समग्रता में रोजगार के अवसर घटे हैं। युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहे हैं और इस कारण जो पहले से रोजगार में हैं उनमें बुजुर्गों की हिस्सेदारी बढ़ रही है।
निराश होकर रोजगार खोजना बंद करने की यह स्थिति यानी बेरोजगारों के रिटायर्ड होने की यह स्थिति बेहद गंभीर है। इस स्थिति को बदलने के लिए देश की जीडीपी का डबल डिजीट में पहुंचना जरूरी है। उद्योग-धंधों के विकास और छोटे व मझोले उद्योगों के खड़ा होने से ही स्थिति बदल सकती है।
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