जहाँ अधिकांश जाने-माने अर्थशास्त्री चीख-चीख कर कह रहे हैं कि बढ़ती आर्थिक असमानता जो कोरोना के कारण एक बड़ी खाई बन गयी है, न रोकी गयी तो अगले 10 साल में ग़रीबी भयंकर रूप से बढेगी। लेकिन मोदी सरकार इससे उलट राय रखती है। उसके अनुसार असमानता और ग़रीबी का कोई अपरिहार्य समानुपातिक रिश्ता नहीं है। बल्कि सरकार की सोच के अनुसार कई बार असमानता बढ़ने से ग़रीबी कम होने के लक्षण भी दिखाई देते हैं यानी असमानता ग़रीबी कम करने में लुब्रिकेंट का काम करती है।