अमेरिका में पचास राज्य हैं और विभिन्न मुद्दों पर हर राज्य में अलग-अलग कानून संभव हैं। फिर भी अमेरिका की एकता और अखंडता पर कोई सवाल उठाना हास्यास्पद ही होगा। ‘लोकतंत्र की जननी’ भारत के प्रधानमंत्री बतौर नरेंद्र मोदी अपनी हालिया यात्रा के दौरान अगर ‘सबसे बड़े लोकतंत्र’ अमेरिका की इस विशिष्टता की ओर ध्यान दे पाते तो शायद मध्यप्रदेश पहुँचकर समान नागरिक संहिता को ज़रूरी बताते हुए ये सवाल न उठाते कि एक देश में दो कानून कैसे रह सकते हैं? या फिर हक़ीक़त वे जानते हैं पर मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की दुर्गति की आशंका से घबराकर ऐसे मुद्दों को हवा देने में जुट गये हैं जो सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कराने की बीजेपी की रणनीतिक योजना के अनुकूल हैं।