जिस तरह इस समय उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर माहौल गरमा रहा है, इसी तरह ठीक पांच साल पहले यानी 2016 के जुलाई-अगस्त में भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए माहौल गरमाने लगा था। इससे दो साल पहले केंद्र में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन चुकी थी। पार्टी का अगला बड़ा लक्ष्य उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने का था। इस लक्ष्य को पाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पूरी तरह सक्रिय हो चुका था। संघ के मुखिया मोहन राव भागवत प्रदेश भर में घूम-घूम कर हिंदू संगठनों के बीच सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने वाले भाषण दे रहे थे।
दो से अधिक बच्चे पैदा करना तो संघ और बीजेपी के एजेंडे पर रहा है?
- विचार
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- अनिल जैन
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- 15 Jul, 2021

अनिल जैन
मोहन भागवत ने 20 अगस्त 2016 को आगरा में आरएसएस से जुड़े शिक्षकों के सम्मेलन में कहा था कि हिंदुओं को अपनी आबादी बढ़ाने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा बच्चे पैदा करना चाहिए। बीजेपी और संघ का क्या रहा है रुख?
इसी सिलसिले में भागवत ने 20 अगस्त 2016 को आगरा में आरएसएस से जुड़े शिक्षकों के सम्मेलन में कहा था कि हिंदुओं को अपनी आबादी बढ़ाने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा बच्चे पैदा करना चाहिए। 'राष्ट्र के पुनर्निर्माण में शिक्षकों की भूमिका’ विषय पर भाषण देते हुए भागवत ने कहा था,
'जब दूसरे धर्म वाले ज़्यादा बच्चे पैदा कर रहे हैं तो हिंदुओं को ऐसा करने से किसने रोक रखा है। कौन सा क़ानून कहता है कि हिंदुओं की आबादी नहीं बढ़नी चाहिए।’