जिस तरह इस समय उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर माहौल गरमा रहा है, इसी तरह ठीक पांच साल पहले यानी 2016 के जुलाई-अगस्त में भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए माहौल गरमाने लगा था। इससे दो साल पहले केंद्र में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन चुकी थी। पार्टी का अगला बड़ा लक्ष्य उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने का था। इस लक्ष्य को पाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पूरी तरह सक्रिय हो चुका था। संघ के मुखिया मोहन राव भागवत प्रदेश भर में घूम-घूम कर हिंदू संगठनों के बीच सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने वाले भाषण दे रहे थे।