नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के ख़िलाफ़ दिल्ली के शाहीन बाग़ में 70 दिन से चल रहे प्रदर्शन में उच्चतम न्यायालय की मध्यस्थता बेनतीजा होती दिख रही है। यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण और अहिंसक है। प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन स्थल पर महात्मा गांधी से लेकर मौलाना अबुल कलाम आज़ाद और डॉ. बी.आर. अंबेडकर की फ़ोटो लगा रखी हैं। प्रदर्शन को गांधीवादी सत्याग्रह से भी जोड़ा जा रहा है। ऐसे में यह देखना ज़रूरी है कि गांधीवादी सत्याग्रह क्या होता है और शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों को आगे क्या करना चाहिए।
महात्मा गांधी से आंदोलन करना सीखें शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारी
- विचार
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- 23 Feb, 2020

शाहीन बाग़ में चल रहे प्रदर्शन को लंबा वक़्त हो गया है। लेकिन सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है। ऐसे में प्रदर्शनकारियों को क्या करना चाहिए।
शाहीनबाग़ के प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सीएए वापस लिया जाए। गृह मंत्री अमित शाह ने साफ घोषणा कर दी है कि किसी भी हाल में सीएए वापस नहीं लिया जाएगा। सरकार ने अपने वकील के माध्यम से उच्चतम न्यायालय में यह भी कहलवाया कि उसके फ़ैसले से ऐसा नहीं लगना चाहिए कि एक धरने के सामने संवैधानिक संस्थाएं झुक गई हैं। शीर्ष न्यायालय ने भी कह दिया कि प्रदर्शन करिए, लेकिन किसी दूसरे के काम में व्यवधान नहीं पड़ना चाहिए।