तीन साल बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 100 साल का हो जाएगा। ऐसे मौके पर संघ का सदस्य रह चुके होने का दावा करते हुए किसी व्यक्ति का हलफ़नामा दायर करना और यह आरोप लगाना कि आरएसएस से जुड़े संगठनों ने देश में विस्फोट की योजनाएँ बनायी हैं और उसको अंजाम दिया, बेहद गंभीर है। महाराष्ट्र में यशवंत शिन्दे ने खुद को संघ का पूर्व प्रचारक बताते हुए यह हलफनामा दिया है। आरएसएस की इस पर औपचारिक प्रतिक्रिया आना बाक़ी है।
दाग धोने के लिए RSS खुद क्यों नहीं आगे आता?
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- 3 Sep, 2022

महाराष्ट्र में यशवंत शिन्दे ने खुद को संघ का पूर्व प्रचारक बताते हुए आरएसएस पर गंभीर आरोप क्यों लगाए हैं? आख़िर उन्होंने में हलफनामा में क्या कहा है? जानिए संघ पर ऐसे आरोप क्यों लगते रहे हैं।
जब संघ संगठन 25 साल का होने जा रहा था तब भी संघ ने बड़ा हमला झेला था। 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के बाद पहली बार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर प्रतिबंध लगाया गया था। 18 महीने बाद यह प्रतिबंध 11 जुलाई 1949 को हटा लिया गया था। नाथूराम गोडसे का आरएसएस में शामिल होने का दाग कभी संघ धो नहीं सका है। अब उल्टे नाथूराम गोडसे की ही वीरगाथा अनौपचारिक रूप से गायी जाने लगी है।