राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो’ यात्रा पर हैं। हर दिन सुर्खियां बटोर रहे हैं जो इस यात्रा की उपलब्धि है। मगर, सुलगते निक्कर दिखाते हुए आरएसएस पर हमले ने अलग किस्म की सुर्खियां बटोरी हैं। इसने संघ को बेचैन कर दिया है। जिस तरह से संघ ने जवाबी हमला बोला है उससे ऐसा लगता है कि राहुल गांधी ने संघ का मुखौटा उतार दिया है।
अगर आरएसएस का जवाबी हमला इतने निम्न स्तर का नहीं होता तो शायद संघ पर हमले से बनी सुर्खियां खुद कांग्रेस का नुकसान कर रही होती। बुद्धिजीवी कह रहे होते कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान इतना नकारात्मक और आक्रामक होने की क्या जरूरत थी। मगर, संघ की प्रतिक्रिया ने इन सवालों पर पर्दा डाल दिया है।
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संघ ने आपा खोया
‘सुलगते निक्कर’ की तस्वीर देखने के बाद ऐसा लगता है कि आरएसएस ने आपा खो दिया है। संघ ने तुर्की-ब-तुर्की जवाब देते हुए राहुल गांधी के बाप-दादाओं की हैसियत के हवाले से कांग्रेस को ललकारा है। ऐसी भाषा आरएसएस का स्वभाव नहीं रहा है। संघ ने अतीत में तब भी इस किस्म की प्रतिक्रियाओं से खुद को बचाए रखा था जब उस पर प्रतिबंध लगे। यही‘न्यू इंडिया’ है।
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संघ की सोच में बड़ा बदलाव
संघ की यह सोच हुआ करती थी कि देश की सभी विचारधाराओं के राजनीतिक दलों में आरएसएस के लोग हों। अब इसमें स्पष्ट बदलाव आ चुका है। संघ ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस हमेशा से उसके खिलाफ रही है। ऐसा कहकर संघ ने अपने लिए यह अधिकार अर्जित कर लिया है कि वह कांग्रेस के खिलाफ जुबानी जंग छेड़े।
राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को आरएसएस ने ‘भारत जलाओ यात्रा’ घोषित कर दिया है। जहां यह कांग्रेस के विरुद्ध आरएसएस की ओर से खुली जंग एलान है वहीं इसे इस रूप में भी कह सकते हैं कि राहुल गांधी ने आरएसएस का घूंघट उतार दिया है। खुद को गैर राजनीतिक कहते हुए बीजेपी की मदद करता रहा संघ अब खुलकर कांग्रेस पर वैसे ही हमले बोल रहा है जैसे बीजेपी अब तक कांग्रेस पर हमले बोला करती थी।
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संघ ने कांग्रेस से पूछा है कि वह ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के जरिए लोगों को किससे जोड़ना चाहती है? संघ ने यही सवाल तब नहीं पूछे थे जब लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या के लिए यात्रा निकाली थी जिस दौरान देशभर में दंगे हुए थे। इसकी अंतिम परिणति विवादास्पद ढांचा को भीड़ द्वारा गिराए जाने के रूप में हुई थी।
‘हिन्दुत्व’ पर विमर्श लाने की कवायद
संघ कहता है कि ‘हिन्दुत्व’ ही लोगों को जोड़ता है। ऐसा कहकर भी संघ दरअसल राहुल गांधी से सीधा रार मोल ले रहा है। राहुल गांधी ने कुछ महीने पहले राजस्थान की सभा में कहा था कि ‘हिन्दुत्व’ नफरत फैलाती है, यह गोडसेवादी है, गांधी की हत्या करती है जबकि सच्चे हिन्दूवादी इससे उलट सोच रखते हैं।
ऐसा लगता है कि संघ की कोशिश राहुल गांधी को दोबारा ‘हिन्दुत्व’ पर लाने की है। चूकि राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा का समापन कश्मीर में होना है इसलिए संघ चाहता है कि ‘हिन्दुत्व’ पर विमर्श नये सिरे से पैदा हो और ‘भारत जोड़ो’ का मकसद बेमतलब हो जाए।
गैर राजनीतिक नहीं रही ‘भारत जोड़ो’ यात्रा
आम तौर पर आरएसएस के खिलाफ राहुल गांधी सीधा हमला बोलते रहे हैं। लेकिन, यह पहला मौका है जब इसके लिए प्रतीकवाद का सहारा लिया गया है। इसकी वजह संभवत: ‘भारत जोड़ो’ यात्रा का गैर राजनीतिक होना है। मगर, सुलगते निक्कर ने ‘भारत जोड़ो’ यात्रा को राजनीतिक बना दिया है और इस वजह से इसका नुकसान भी हो सकता है। गैर राजनीतिक आधार पर जो लोग राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा के साथ जुड़ने की इच्छा रखते हैं वे अब संभवत: घरों से बाहर न निकलें।
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