लखीमपुर खीरी में दलित बहनों के साथ बलात्कार और उनकी हत्या के मामले में गुस्सा उबाल ले रहा है। यह गुस्सा स्वागत योग्य होता अगर उसे ‘बलात्कार पर गुस्सा’ के रूप में दर्ज कराया जाता। दलित बहनों के साथ लगातार घट रही बलात्कार की घटनाओं को रोकने की गरज भी इस गुस्से में नहीं दिखती। यहां दिख रही है मुसलमानों के प्रति नफरत। इस गुस्से में मुसलमानों को अपराधी ठहराने का भाव है। ऐसा क्यों हो रहा है? क्या यह होना चाहिए?
बलात्कारियों का धर्म क्यों देखा जा रहा है ?
- विचार
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- 29 Mar, 2025
लखीमपुर खीरी में दो दलित बहनों से गैंगरेप और हत्या पर लोगों का गुस्सा उबला रहा है। वरिष्ठ पत्रकार प्रेम कुमार ने सवाल उठाया है कि रेप के खिलाफ गुस्सा स्वाभाविक है लेकिन वो गुस्सा एक समुदाय विशेष के खिलाफ निकाला जाए तो गलत है।
