देश में निर्भया, हाथरस जैसी बलात्कार की जघन्य वारदात हुई हैं और अब लखीमपुर का मामला एक ताजा उदाहरण है। लेकिन तमाम बड़े नेता इन मामलों पर चुप क्यों हैं, बोलते क्यों नहीं।
लखीमपुर खीरी में दो दलित बहनों से गैंगरेप और हत्या पर लोगों का गुस्सा उबला रहा है। वरिष्ठ पत्रकार प्रेम कुमार ने सवाल उठाया है कि रेप के खिलाफ गुस्सा स्वाभाविक है लेकिन वो गुस्सा एक समुदाय विशेष के खिलाफ निकाला जाए तो गलत है।
परिजनों ने शुरुआत में दोनों बहनों का अंतिम संस्कार करने से इनकार किया। लेकिन बाद में प्रशासन के द्वारा वित्तीय सहायता दिए जाने और कार्रवाई करने की मांग माने जाने के बाद वे अंतिम संस्कार के लिए तैयार हुए।
क़ानून व्यवस्था दुरुस्त होने का दम भरने वाले यूपी में आज एक भयावह घटना सामने आई है। लखीमपुर खीरी के निघासन में एक पेड़ में फंदे से लटकी हुई दो नाबालिग बहनों की लाशें मिली हैं।