लोकसभा में अडानी ग्रुप पर लगे हेराफेरी के आरोपों और अपने साथ रिश्तों को लेकर उठे सवालों का संज्ञान भी न लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर उस संवेदनशील व्यक्ति को हैरान किया था जो उस संसदीय परंपरा के महत्व से वाक़िफ़ है जिसके तहत राष्ट्रपति के अभिभाषण में हुई बहस का प्रधानमंत्री बिंदुवार जवाब देते हैं। लेकिन राज्यसभा में हुई बहस के जवाब से तो उन्होंने उन सबको भौंचक्का ही कर दिया। क्या राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले से भी जुड़ रहे ‘अडानीगेट’ का जवाब नेहरू सरनेम लगाने या न लगाने के सवाल से हो सकता है? पीएम मोदी ने प्रथम प्रधानमंत्री और आज़ादी की लड़ाई के हीरो पं.नेहरू के प्रति असम्मान पहले भी प्रकट किया है, पर वे उनके सरनेम का भी ऐसा इस्तेमाल करेंगे, यह कोई सोच भी नहीं सकता था।