यह इतिहास का सच है कि जब एक पंथ विकसित होता है तो वह संस्कृति बन जाता है। जब लोकतांत्रिक तरीके से चुना हुआ नेता धर्मवैधानिक बन जाता है, वह राष्ट्र की अवधारणा को बदल देता है। यह विरले ही होता है कि किसी नेता के जीवन और उसकी शैली का असर दूसरे लोगों की ज़िन्दगी पर पड़ता है। पिछले दो दशकों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहस-मुबाहिसे में अर्थनीति, धर्म और जनसांख्यिकी मामलों में जो एक व्यक्ति छाया रहा है, उसका नाम है नरेंद्र मोदी।