यह इतिहास का सच है कि जब एक पंथ विकसित होता है तो वह संस्कृति बन जाता है। जब लोकतांत्रिक तरीके से चुना हुआ नेता धर्मवैधानिक बन जाता है, वह राष्ट्र की अवधारणा को बदल देता है। यह विरले ही होता है कि किसी नेता के जीवन और उसकी शैली का असर दूसरे लोगों की ज़िन्दगी पर पड़ता है। पिछले दो दशकों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहस-मुबाहिसे में अर्थनीति, धर्म और जनसांख्यिकी मामलों में जो एक व्यक्ति छाया रहा है, उसका नाम है नरेंद्र मोदी।
बीजेपी ने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में 20 साल तक सत्ता में रहने की नरेंद्र मोदी की उपलब्धि को धूमधाम से मना कर एक मिसाल कायम कर दी। पूरी पार्टी और सरकार से कहा गया कि वे नए और पुराने विजुअल्स और वाकपटुता व शब्दाडंबरों का इस्तेमाल करते हुए मोदी के गुणों का बखान करें।
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट किया, "नरेंद्र मोदी जी ने शासन के 20 गौरवशाली वर्ष पूरे कर लिए। गुजरात से दिल्ली तक का उनका शासन भारत को बदलने के एजेंडे के ठोस आधार पर टिका हुआ है।"
रेल व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, "गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में तकनीक का इस्तेमाल कर लोगों का जीवन बदलने के लिए शुरू की गई यात्रा आज नए भारत के लिए डिजिटल इंडिया के एजेंडे के रूप में बदल चुकी है।"
शोरगुल मचाने वाली कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया कि किस तरह नरेंद्र मोदी ने महिलाओं को सशक्त किया है।
बीजेपी मोदी पंथ को बढ़ावा देने का कोई मौका नहीं छोड़ती है और उसने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के सत्ता में 20 साल पूरे करने के मौके को बहुत ही धूमधाम से मनाया।
इसने मोदी के व्यक्तिगत त्याग, प्रशासन के अनूठेपन, शासन का मॉडल और राष्ट्र के प्रति पूर्ण समर्पण और दो दशक की भारत की उनकी सेवा को बताने के लिए हैशटैग #20YearsOfSevaSamarpan का इस्तेमाल किया।
सारे केंद्रीय नेता, प्रदेश पार्टी प्रमुख, पार्टी के पदाधिकारी, केंद्रीय मंत्री व मुख्यमंत्री सोशल मीडिया पर उतर आए और ऐसा व्यवहार करने लगे मानो जैक डोरसी का सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्विटर का कारोबार अब बंद होने को है। हर किसी ने प्रधानमंत्री के किसी न किसी अपने पसंदीदा गुण को लेकर उन्हें महान प्रशासक, राजनेता, सिद्धांतकार और बिल्कुल नया कुछ करने वाला बताया।
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स्मृति ईरानी ने #20YearsOfSevaSamarpan हैशटैग से ट्वीट कर कहा कि "पिछले दो दशक के दौरान मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी का ध्यान नारी स्वतंत्रता पर रहा और उन्होंने न सिर्फ बीसियों महिलाओं को सामाजिक व आर्थिक रूप से सशक्त किया, बल्कि उनके जीवन को आसान बनाया।"
जहाज़ से चिपकना मजबूरी
ऐसा कर ये लोग शायद अपने बॉस पर कोई अहसान नहीं कर रहे हैं। ये अपने स्वार्थ के लिए ऐसा कर रहे हैं क्योंकि ये उस समुद्री जीव की तरह हैं जो जहाज़ की पेंदी में चिपके रहते हैं ताकि सुरक्षित रहें। ये लोग भी अपनी सुरक्षा के लिए मोदी नामक जहाज़ से चिपके हुए हैं। इनमें से ज़्यादातर तो अपने बलबूते चुनाव में अपनी ज़मानत तक नहीं बचा पाएंगे।
मोदी मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बनने वाले अकेले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने लगातार दो बार अपनी पार्टी को लोकसभा चुनाव में बहुमत दिलवाया। उनके पहले आने वालों में पी. वी. नरसिंह राव को छोड़ कर किसी ने अपना एक कार्यकाल भी पूरा नहीं किया, दो बार चुनाव जीतने की बात ही छोड़ दीजिए।
मंत्रियों और प्रदेश पार्टी अध्यक्षों को देख कर लाखों बीजेपी प्रशंसक सोशल मीडिया पर अपने सबसे उपयुक्त नेता के गुणगान में जुट गए। इसमें कोई संदेह नहीं कि 1 अक्टूबर, 2001 को गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद से नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक विमर्श और शासन के अलगोरिदम को बदल कर रख दिया है।
चार ‘एस’
सरप्राइज (आश्चर्य), स्पीड (रफ़्तार), सीक्रेसी (गोपनीयता) और सेलेक्टिविटी (चुनने की कला) ये चार 'एस' हैं, जिनके बल पर मोदी ताक़तवर, इतने लोकप्रिय हैं कि दूसरों को ईर्ष्या हो, और बहुत ही ज़्यादा दिखने वाले दुनिया के नेता बन कर उभरे हैं।
साल 2014 में प्रधानमंत्री बनने को कुछ दिन बाद ही भारत के सात लाख गाँवों में उनकी तसवीर दिखने लगी। देश का शायद ही कोई हवाई अड्डा, पेट्रोल पंप या रेल स्टेशन हो जहाँ मोदी की आदमकद तसवीर न लगी हो। मानो इतना भी काफी नहीं था, केंद्र सरकार ने एक अरब कोरोना टीका सर्टिफिकेट पर उनकी तसवीर छाप दी।
यह सुनिश्चित किया गया कि अख़बार की सुर्खियों और टेलीविज़न की प्राइम टाइम बहसों में वे हमेशा छाए रहें। वे हर अनूठी योजना, कार्रवाई या नारे के कुशल कलाकार हैं।
गोधरा से लेकर अनुच्छेद 370 तक, मोदी एक नया नैरेटिव गढ़ते रहे। 2002 में अंतरराष्ट्रीय अछूत रहने वाले मोदी 20 साल में सबके प्रिय हो गए क्योंकि वे खुद से ही प्रतिस्पर्धा करते रहे। वे अच्छी चीजें पसंद करते हैं, पर वे 18 घंटे काम भी करते रहते हैं।
बीजेपी के लिए भारत हैं मोदी
135 साल पुरानी कांग्रेस को उन्होंने शून्य में तब्दील कर दिया। वे एक लोकतांत्रिक तानाशाह हैं। इंदिरा गांधी कांग्रेस के लिए इंडिया थीं तो नरेंद्र मोदी बीजेपी के लिए भारत हैं। भारत 1950 में जवाहरलाल नेहरू की वजह से जाना जाता था तो आज उसकी पहचान मोदी हैं।
मोदी फ़ीनिक्स पक्षी की तरह राख से उठ कर एकदम आकाश में ऊँचाई पर उड़ रहे हैं क्योंकि वे हिन्दुत्व का कार्ड प्रयोग करते हैं। राजनीतिक परिदृश्य में उनके उभरने के पहले राजनीति सांप्रदायिकता व धर्मनिरपेक्षता में बंटी हुई थी।
हिन्दुत्व का कार्ड
हिन्दुत्व की पहचान को उन्होंने इस तरह मजबूती से स्थापित किया कि राजनीतिक विमर्श से धर्मनिरपेक्षता बाहर कर दी गई। लाल कृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा से हिन्दू गौरव जागा, पर वह वोटों में तब्दील नहीं हुआ। मोदी ने सरकारी सत्ता का उपयोग कर तेजी से उभर रही हिन्दू भावना को वोटों में बदल दिया। उन्होंने इस प्रक्रिया में विपक्ष पर अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण के आरोप को चिपका दिया।
विपक्ष समझ गया कि मध्यवर्गीय हिन्दुओं को अपनी ओर किए बग़ैर वे कहीं के नहीं रहेंगे। यह विडंबना ही है कि मोदी की वजह से विपक्षी दलों में हिन्दू धर्म, देवता और संस्कृति से खुद को जोड़ने की होड़ मची हुई है।
मोदी के जादू से कांग्रेस का सफाया हो गया, उसके बाद से इसके नेता खुद को हिन्दुओं से जोड़ने लगे हैं। राहुल गांधी अपना जनेऊ और गोत्र दिखाने लगे हैं। वे 2017 के बाद से सौ से ज़्यादा मंदिर गए हैं। अंतिम बार उन्होंने वैष्णो देवी के दर्शन किए थे।
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यदि कांग्रेस आक्रामक ढंग से हिन्दुत्व को अपना रही है तो दूसरे दल क्या पीछे रहेंगे? तेलंगाना के मुख्यमंत्री की बेटी और पूर्व सांसद कल्वकुंतला कविता ने ट्वीट किया, "शुभ नवरात्रि!"
बड़ा हिन्दू दिखाने की होड़
आंध्र प्रदेश सरकार ने तमिलनाडु से तिरुपति पैदल जाने वाले तीर्थयात्रियों के आराम के लिए घर बनवाए। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने पिछले कई महीनों में अयोध्या व चित्रकूट जैसे कई हिन्दू तीर्थ स्थलों की यात्रा की। और तो और, ममता बनर्जी तक ने अपनी हिन्दू आत्मा को ढूंढ लिया है।
वे नंदीग्राम के 28 घंटे के चुनाव प्रचार अभियान में 20 मंदिरों में गईं। मीडिया के तीखे सवालों के जवाब में उन्होंने पलट कर पूछा, "मैं भी हिन्दू हूँ। हिन्दू धर्म हमें सबसे प्रेम करना सिखाता है। यह विभाजन पैदा नहीं करता है। मैं चंडीपाठ से अपने दिन की शुरुआत करती हूँ। क्या मैं अभी इसे पाठ कर सुनाऊँ? मैं एक ब्राह्मण भी हूँ।" वे खुद और उनकी पार्टी यह मानती है कि जब तक उन्हें हिन्दू के रूप में पेश नहीं किया जाता है, लोग उन्हें राष्ट्रीय नेता के रूप में स्वीकार नहीं करेंगे।
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कन्याकुमारी से कालिम्पोंग तक हिन्दू धर्म की स्वीकार्यता और इज्ज़त बढ़ गई है। इसका पूरा श्रेय मोदी को जाता है। उन्होंने अपने पंथ को विकास और धर्म से जोड़ दिया है। हालांकि सावरकर ने हिन्दुत्व का आह्वान भारतीय पहचान के रूप में किया, मोदी ने भारतीय पहचान को हिन्दुत्व के रूप में बदलने में कामयाबी हासिल की है और इसका भरपूर राजनीतिक फ़ायदा उठाया है।
95 साल का आरएसएस लगभग सौ साल से जो कुछ कह रहा था, इसके 70 साल के प्रचारक ने वह कर दिखाया है।
अब मोदी अपने आप में भारतीय राजनीति के त्रिदेव हैं- हिन्दुत्व के रचनात्मक ब्राह्मण, आस्था के विष्णु और छद्म धर्मनिरपेक्षता के संहारक महेश्वर।
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