ओडिशा में भाजपा और सत्तारूढ़ बीजेडी के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है। हालांकि यह 4 जून को पता चलेगा कि राज्य में कौन सी पार्टी अगली सरकार बनाएगी। इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल में दोनों पार्टियों को 62-80 सीटें मिलने का अनुमान है। ओडिशा विधानसबा के लिए 147 विधायक चुने जाते हैं।
भाजपा ने ओडिशा में 2019 में 32.49% वोट शेयर प्राप्त किया था, एग्जिट पोल में अनुमान लगाया गया है कि भाजपा को अब राज्य में 42% वोट हासिल हो सकता है। लगभग 10% की यह बढ़ोतरी ओडिशा में नए समीकरण बना सकती है। आंकड़ों से पता चलता है कि कांग्रेस पांच से आठ सीटें मिल सकती हैं। उसका वोट शेयर 12% तक रह सकता है।
2019 में ओडिशा के लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ हुए थे। विधानसभा में बीजू जनता दल को 117 सीटें, भाजपा को 23 और कांग्रेस को नौ सीटें मिली थीं। बीजेडी अध्यक्ष नवीन पटनायक, जो 2000 में पहली बार मुख्यमंत्री बने, लगातार पांचवें कार्यकाल के लिए फिर से चुने गए। अब वह देश के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्रियों में से एक बन गए हैं।
हालांकि बीजेडी और भाजपा एक दूसरे के सहयोगी रहे हैं। लेकिन भाजपा अब अपने दम पर प्रमुख विपक्षी पार्टी बन गई है। हाल के विधानसभा चुनावों में अपनी रैलियों में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा ने नवीन पटनायक की सेहत पर हमला किया। मोदी और भाजपा ने आरोप लगाया कि पटनायक अपने भरोसेमंद सहयोगी वीके पांडियन को "उत्तराधिकारी" बनाने की कोशिश कर रहे हैं। पांडियन जबकि तमिलनाडु से हैं और पटनायक उन्हें मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं।
हालांकि बीजेडी ने अपना अभियान पटनायक सरकार के काम और उसकी योजनाओं के आसपास केंद्रित किया। मोदी के हमले के बाद मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने अपनी सेहत को "सबसे अच्छा" बताते हुए एक वीडियो बयान भी जारी किया।
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