ओडिशा विधानसभा से 14 विधायकों के निलंबन के खिलाफ रैली कर रहे कांग्रेस प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए भुवनेश्वर में पुलिस ने आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया। महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच की मांग को लेकर शुरू हुआ यह प्रदर्शन हिंसक हो गया। क्योंकि प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प हो गई। पुलिस का आरोप है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उन पर पथराव किया।
सुबह से ही कांग्रेस कार्यकर्ता भारी तादाद में विधानसभा की ओर बढ़ रहे थे। उनका मकसद विधानसभा को घेरना था, जिसकी घोषणा उन्होंने पहले ही 12 मार्च को कर दी थी। यह विरोध उस मांग को लेकर था जिसमें कांग्रेस ने बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के बाद पिछले नौ महीनों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच के लिए एक समिति गठन की मांग की थी। प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे थे और सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे थे। लेकिन जैसे ही वे बैरिकेड्स तोड़कर आगे बढ़े, पुलिस ने सख्ती दिखानी शुरू कर दी।
लोअर पीएमजी इलाके में स्थिति तब तनावपूर्ण हो गई जब प्रदर्शनकारियों और पुलिस की आमने-सामने से भिड़त हुई।पुलिस ने आरोप लगाया कि उन पर पत्थर, अंडे और टमाटर फेंके। जवाब में पुलिस ने पहले पानी की बौछार का इस्तेमाल किया, लेकिन जब भीड़ नहीं रुकी तो आंसू गैस के गोले छोड़े गए। इसके बाद लाठीचार्ज भी करना पड़ा, जिसमें कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं को चोटें आईं। पुलिस का कहना था कि उन्होंने यह कदम कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाया, क्योंकि प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए थे। हालांकि कांग्रेस ने पुलिस के आरोपों को गलत बताया।
CONGRESS ASSEMBLY GHERAO IN ODISHA
— Surbhi (@SurrbhiM) March 27, 2025
Huge clash between Congress workers and Police . Congress workers break the barricades and clash with police at Lower Pmg .pic.twitter.com/LbQwq6wwNi
कांग्रेस नेताओं ने पुलिस की कार्रवाई की कड़ी निंदा की। ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भक्त चरण दास ने कहा, "हमें खबर मिल रही थी कि राज्य के अलग-अलग जिलों से हमारे कार्यकर्ताओं को भुवनेश्वर आने से रोका जा रहा है। यह लोकतंत्र पर हमला है।" उन्होंने चेतावनी दी कि अगर कार्यकर्ताओं को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया तो जिला स्तर पर तनाव बढ़ सकता है, जिसकी जिम्मेदारी कांग्रेस नहीं लेगी। दास ने यह भी कहा कि वे शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना चाहते थे, लेकिन पुलिस की सख्ती ने स्थिति को बिगाड़ दिया।
विधानसभा में क्या हुआ
गुरुवार का प्रदर्शन उस घटना की अगली कड़ी था जिसमें मंगलवार रात और बुधवार सुबह विधानसभा में हंगामा हुआ था। 12 कांग्रेस विधायकों को सदन से बाहर निकाला गया था, जब उन्होंने महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों के मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगा था। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष सुरमा पाढ़ी ने 14 कांग्रेस विधायकों को एक हफ्ते के लिए निलंबित कर दिया। इससे पहले कांग्रेस विधायकों ने सदन में घंटियां बजाकर और नारे लगाकर विरोध जताया था, जिसके चलते कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी थी।
Unprecedented scenes in Odisha assembly .
— Surbhi (@SurrbhiM) March 26, 2025
12 Congress MLAs were suspended by speaker and Barred From Attending Assembly For 7 Days .
Congress has only 14 mlas and they are raising the issue of women security in Odisha .pic.twitter.com/2XPs9uhDv8
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बुधवार शाम को एक अनोखे तरीके से प्रदर्शन किया। वे सफेद टी-शर्ट पहनकर धरने पर बैठ गए, जिन पर नारे छपे थे, जैसे "निलंबित विधायक"। इस दौरान वे चाय पीते हुए शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखते दिखे। लेकिन गुरुवार को यह शांति हिंसा में बदल गई। पुलिस ने गुरुवार के प्रदर्शन की तैयारी पहले से ही कर रखी थी। उसने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए कटीले तार चारों तरफ लगा दिए थे।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए ओडिशा की बीजेपी सरकार हर कोशिश में लगी है। बांस - बल्ली, कटीले तार, बैरिकेड...सब कुछ। सरकार तानाशाही का अपना चेहरा दिखा रही है।
— Odisha Congress (@INCOdisha) March 27, 2025
महिला सुरक्षा के लिए, निकम्मी कानून - व्यवस्था के खिलाफ ओडिशा कांग्रेस के आंदोलन को यह सरकार दबा नहीं पायेगी। pic.twitter.com/fQojNlnrXH
ओडिशा में महिलाओं के खिलाफ अपराध
ओडिशा में यह एक गंभीर और चिंताजनक मुद्दा है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, ओडिशा देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में शीर्ष राज्यों में शामिल है। यह स्थिति न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी गहरी समस्याओं को उजागर करती है। एनसीआरबी के 2022 के रिपोर्ट के मुताबिक, ओडिशा महिलाओं के खिलाफ अपराध में चौथे स्थान पर रहा। इस साल राज्य में बलात्कार, छेड़छाड़, अपहरण और घरेलू हिंसा जैसे मामलों में वृद्धि देखी गई।2022 में ओडिशा में 7,327 छेड़छाड़ के मामले और 14 बलात्कार व हत्या के मामले दर्ज किए गए। इसके अलावा, साइबर अपराधों में भी ओडिशा महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक मामले दर्ज करने वाले राज्यों में शुमार है। 2021 में अपराध दर प्रति लाख महिलाओं पर 137.8 थी, जो 2020 के 112.9 से काफी अधिक थी। यह आंकड़ा असम और दिल्ली के बाद तीसरे स्थान पर था।
ओडिशा में अपराध के मामलों में सजा की दर बहुत कम है। 2021 में यह दर 8.3% थी, जो राष्ट्रीय औसत 26.6% से काफी कम है। पुलिस और न्यायिक प्रणाली में सुस्ती, सबूतों का नष्ट होना, और सामाजिक दबाव के कारण कई मामले दर्ज ही नहीं होते। महिलाएं डर और सामाजिक कलंक के कारण शिकायत करने से हिचकिचाती हैं। हाल ही में भुवनेश्वर के भरतपुर थाने में एक सेना अधिकारी की मंगेतर के साथ कथित यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया, जिसने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए।
इस घटना ने ओडिशा की राजनीति में एक नया तनाव पैदा कर दिया है। कांग्रेस का कहना है कि वे अपनी मांगों को लेकर पीछे नहीं हटेंगे, जबकि बीजेपी सरकार इसे कानून-व्यवस्था का सवाल बता रही है। भुवनेश्वर में गुरुवार का यह हंगामा न सिर्फ स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बना है, बल्कि यह सवाल भी उठा रहा है कि क्या सरकार और विपक्ष के बीच यह टकराव आगे और बढ़ेगा। आने वाले दिन इस बात का जवाब देंगे कि यह प्रदर्शन कितना असर छोड़ पाता है।
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