अभी अधिक समय नहीं हुआ है जब ओडिशा और इसके मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का राज्य में कोरोना महामारी पर प्रभावशाली नियंत्रण के लिए प्रशंसा के कसीदे पढ़े जा रहे थे। देश में कोरोना के पैर पसारने के ख़तरे को भाँपते हुए नवीन पटनायक ने सबसे पहले जिस प्रकार के एहतियाती क़दम उठाए उसकी सराहना सारे देश में हुई। एक पिछड़ा राज्य होने के बावजूद नवीन पटनायक ने अन्य राज्यों की तुलना में काफ़ी पहले ही एक्शन प्लान बनाया। लॉकडाउन से पहले एक हेल्पलाइन नंबर शुरू किया। कोविड-19 पर नज़र रखने के लिये एक समर्पित वेबसाइट शुरू की। उन्होंने सड़क, फुटपाथ पर खोमचे लगाने वालों को तीन हज़ार रुपये की मदद राशि देने की घोषणा की। इन सबका परिणाम यह हुआ कि राज्य में कोरोना के फैलाव पर अंकुश लगा रहा। अप्रैल माह के अंत तक स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में रही। लेकिन मई महीने के पहले सप्ताह में राज्य में जिस तेज़ी से कोरोना के केस बढ़े उससे चिंता बढ़ी है।
तुलनात्मक दृष्टि से राज्य में कोरोना रोगियों की संख्या बड़ी नहीं है। 16 मार्च को राज्य में कोरोना का पहला मरीज़ सामने आया था उसके बाद से यह रिपोर्ट लिखे जाने तक राज्य में कुल 352 केस सामने आए हैं। अभी तक राज्य में तीन लोगों की मृत्यु हुई है। 9 मई को अनुगुल ज़िले में 13 नये मामले आने से यह राज्य का 20वाँ कोरोना संक्रमित ज़िला बन गया है।
गंजाम ज़िला 50 दिनों तक ग्रीन ज़ोन में रहा, लेकिन अब मात्र 7 दिनों में यह प्रदेश का सबसे बड़ा रेड ज़ोन बन गया है। 1 मई तक गंजाम में कोरोना का एक भी मामला नहीं था वहीं 9 मई तक वह राज्य का सबसे बड़ा प्रभावित जिला बन गया। 2 मई को ज़िले में पहला केस उजागर हुआ। अगले दो दिनों में दो और केस जुड़े। पर 10 मई तक यह संख्या 118 तक पहुँच गई और गंजाम ने जाजपुर ज़िले को दूसरे स्थान पर धकेलते हुए राज्य का सबसे बड़ा संक्रमित ज़िला होने का तमगा हासिल कर लिया। यह सब सूरत से प्रवासी श्रमिकों के लौटने के बाद शुरू हुआ।
इससे आम लोग भी चिंतित हुए हैं। कई गाँवों में लोग प्रवासियों के, जो अपने गाँव लौटे हैं, आने का विरोध कर रहे हैं। इसलिए सरकार गंजाम ज़िले पर विशेष ध्यान दे रही है। कोरोना की बढ़ती संख्या से चिंतित गंजाम के सरपंचों को संबोधित करते हुए 5टी के सचिव वी के पांडियन ने उन्हें नहीं घबराने की सलाह दी है।
सरकार ने गंजाम ज़िला प्रशासन की मदद के लिये 4 मई को पाँच राज्य प्रशासनिक अधिकारियों को और 8 मई को तीन आईएएस अधिकारियों को भेजा है। 9 मई को सरकार ने सात सदस्यीय चिकित्सा अधिकारियों का दल भेजा है।
इस दल में आईसीएमआर, आरएमआरसी और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारी भी शामिल हैं।
स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि क्वॉरंटीन सेंटरों में सख़्ती का अभाव है। केंद्रों पर रहने वालों के रिश्तेदार मिलने आते हैं। वे बाहर भी घूमने चले जाते हैं। 4 मई को गंजाम ज़िले के पुरुषोत्तमपुर प्रखंड के भाताकुमारडा और भाबन्ध केन्द्रों में रखे गए लोगों ने भोजन को लेकर बवाल काटा और आशाकर्मियों के साथ अशालीन व्यवहार किया। उसी दिन ज़िले के बेगुनियापाढ़ा पंचायत के जनता उच्च विद्यालय और आदर्श विद्यालय में रखे गये 120 प्रवासी भाग गये।
गंजाम के ज़िलाधिकारी विजय अमृत कुलंजे ने कहा कि क्वॉरंटीन सेंटरों में किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ऐसा करने वालों को एकांतवास केंद्र में रखा जायेगा और उन्हें दी जाने वाली दो हज़ार रुपए की प्रोत्साहन राशि भी रोक दी जाएगी।
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी क्वॉरंटीन सेंटरों में सभी को नियमों का पालन करने की सलाह देते हुए कहा कि किसी की ओर से थोड़ी सी भी लापरवाही पूरे समाज के लिये ख़तरा उत्पन्न कर सकती है। राज्य के पुलिस महानिदेशक अभय ने भी क़ानून के अनुसार कार्रवाई करने की चेतावनी दी। भद्रक में एक क्वॉरंटीन सेंटर में एक टिक-टॉक का वीडियो वायरल होने से वह नाराज़ थे।
गंजाम के ज़िलाधिकारी विजय अमृत कुलंजे ने कहा कि अब तक 40000 लोग बाहर से लौटे हैं। लगभग तीन लाख लोगों ने पंजीकरण कराया है।
10 मई को प्रवासी मज़दूरों को लेकर एक रेलगाड़ी बलांगीर ज़िले के टिटिलागढ़ स्टेशन पहुँची तो स्थानीय प्रशासन ने शहर में कर्फ्यू लगा दिया। प्रवासी श्रमिकों को लेकर रेलगाड़ियाँ अब हर दिन आ रही हैं। आमलोग कोरोना मरीज़ के नाम से सशंकित हो रहे हैं। उनसे हर प्रकार से दूरी चाहते हैं। ऐसे में आमलोगों के भय और प्रवासी श्रमिकों के लौटने के बीच संतुलन बनाये रखना सरकार के लिये बड़ी चुनौती होगी।
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