पिछले कुछ दिनों में भारत में कोरोना संक्रमण ने जो तेज़ रफ़्तार पकड़ी और कई देशों को पछाड़ते हुए तीसरे स्थान पर पहुँच गया है, लगता है ओडिशा ने भी अब दुलकी चाल छोड़कर इस मामले में फर्राटा भरने का फ़ैसला कर लिया है।
मार्च, अप्रैल व मई महीने में राज्य में काफी धीमी गति से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ रही थी। पर जून माह में गति बेलगाम हो गई और 6 जुलाई को ओडिशा 'दस हज़ारी क्लब' में शामिल हुआ। 22 जुलाई को संक्रमितों की संख्या बढ़कर 20 हज़ार और अब 29 जुलाई को यह 30 हजार को पार कर गई है।
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मई के पहले हिस्से तक कोरोना काफी नियंत्रण में रहा, पर प्रवासी श्रमिकों के अपने गाँव लौटने में बढ़ती संख्या के साथ संक्रमण ने पूरे राज्य में पाँव पसार लिये हैं।
पहला मामला 16 मार्च को
राज्य में कोरोना का पहला मामला 16 मार्च को सामने आया और 25 अप्रैल 100वां केस दर्ज किया गया। मई महीने में प्रवासी श्रमिकों के राज्य वापसी के बाद कोरोना ने गति पकड़ी, 12 मई को आंकड़ा 500 हो गया और सात दिन बाद 19 मई को यह दोगुना होकर 1,000 तक पहुँच गया।जून महीने में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या प्रतिदिन सैकड़े की दर से बढ़ने लगी। 20 जून को 5 हज़ार और 6 जुलाई को आँकड़ा 10 हज़ार पार कर गया।
कोरोना संक्रमण के मामले में ओडिशा 16वें स्थान से एक पायदान ऊपर चढ़कर 15वें स्थान पर पहुँच गया। 21 जुलाई के बाद से प्रतिदिन राज्य में एक हज़ार से अधिक लोग संक्रमित हो रहे हैं।
22 ज़िले प्रभावित
राज्य के 30 ज़िलों में से 22 ज़िलों में संक्रमितों की संख्या सैकड़ों में है। राज्य में अबतक (29 जुलाई) 169 लोग इसके शिकार हो चुके हैं। इनमें तीन पत्रकार भी शामिल हैं। चार विधायक कोरोना की चपेट में आ चुके हैं, हालांकि इनमें से तीन स्वस्थ हो चुके हैं।देश की कोरोना तालिका में 15वें स्थान पर बैठा ओडिशा तुलनात्मक दृष्टि से अभी भी कम ख़तरनाक लगता है। मृत्यु दर के मामले में राज्य काफी बेहतर स्थिति में है। राज्य में कोरोना जनित पहली मृत्यु 6 अप्रैल को हुई और उसके बाद अबतक (29 जुलाई) कुल 169 लोग कोरोना का शिकार बने हैं।
पहले तारीफ. अब आलोचना
शुरू में नवीन पटनायक सरकार ने कोरोना से लड़ने के लिए कई अग्रिम तैयारियाँ की थीं। जिसकी देश में प्रशंसा भी हुई थी। पर अब लगता है जैसे सरकार उपायहीन हो चुकी है। प्रदेश बीजेपी महासचिव पृथ्वीराज हरिचंदन कहते हैं कोविड प्रबंधन को अफ़सरों के भरोसे छोड़ दिया गया है। वे नाकाम सिद्ध हो रहे हैं।जून महीने में सरकार ने साप्ताहिक दो दिन लॉक डाउन की घोषणा की थी। पर वह बिल्कुल कारगर सिद्ध नहीं हुआ। सरकार के पास बढ़ते वायरस संक्रमण को लेकर कोई समाधान नहीं है। कोरोना के मामले में अति संवेदनशील नवीन सरकार ने 1 जून से अनलॉक-1 की शुरुआत के बावजूद राज्य में लॉक डाउन को 31 जुलाई तक बढ़ा दिया गया।
लॉकडाउन कारगर नहीं
इतना ही नहीं, मुख्य सचिव असित त्रिपाठी ने जून महीने में राज्य के 11 जिलों में शनिवार व रविवार को पूरा लॉकडाउन की घोषणा कर दी। पर स्थिति में सुधार न होता देखकर उन्होंने 17 जुलाई से राज्य के सर्वाधिक प्रभावित चार जिलों खोरदा, गंजाम, जाजपुर, कटक और राउरकेला महानगर निगम में 14 दिनों के शटडाउन की घोषणा कर दी।असित त्रिपाठी ने कहा कि राज्य के 66 प्रतिशत मामले इन चार ज़िलों से और सुंदरगढ़ ज़िले के 90 प्रतिशत मामले राउरकेला से आ रहे हैं। 22 जुलाई से 31 जुलाई तक संबलपुर ज़िला शटडाउन के अधीन आ गया। राज्य के चार प्रमुख अस्पतालों- भुबनेश्वर का एम्स, ब्रह्मपुर का एमकेसीजी, बुर्ला का विमसार मेडिकल कॉलेज व अस्पताल तथा कटक का आचार्य हरिहर केंसर सेंटर के आउटडोर रोगी विभाग की सेवाएँ बंद करनी पड़ी हैं।
राज्य सरकार कोरोना योद्धाओं के संक्रमित होने की बढ़ती संख्या से चिंतित है। राज्य में कुल 200 से अधिक कोरोना योद्धा इसकी चपेट में आ गये हैं।
निजी अस्पताल भी चपेट में
निजी अस्पतालों का कोरोना की चपेट में आना राज्य के लिये चिंता का विषय बन गया है। सरकार कह रही है कि कोरोना निर्देशावली का समुचित तरीके से पालन नहीं किये जाने यह स्थिति उपजी है। कोविड-19 के प्रवक्ता सुब्रत बागची ने लोगों को सतर्क करते हुए कहा कोरोना अब तेज़ी से पैर पसार रहा है। अतः सभी लोग कोविड संबंधी निर्देशों का पालन करें।इस स्थिति में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को प्रभु जगन्नाथ याद आ रहे हैं। मुख्यमंत्री ने 6 जुलाई को एक वीडियो संदेश में लोगों से त्याग, संयम व अनुशासन का पालन करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि रथयात्रा के समय जगन्नाथ प्रभु ने रास्ता दिखाया।
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