बिहार के खगड़िया जिले के अलौली प्रखंड के शहरबन्नी गांव का एक टोला है, जिसका नाम मंत्री जी का टोला है। राम विलास पासवान के मंत्री बनने के बाद उस टोले का यह नाम पड़ा था। अपने बेटे को खोने पर आज यह टोला सबसे अधिक उदास होगा।
राम विलास पासवान को लालू यादव 'मौसम वैज्ञानिक' क्यों मानते थे?
- श्रद्धांजलि
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- 8 Oct, 2020

भारत की दलित राजनीति के सबसे महत्वपूर्ण चेहरों में शामिल राम विलास पासवान ने 1983 में दलित सेना भी बनायी थी जिसके वे आजीवन अध्यक्ष रहे। वे न्याय चक्र के नाम से एक पत्रिका भी निकालते थे। पासवान कभी दलित-अल्पसंख्यक राजनीति में नाम पैदा नहीं कर सके लेकिन वे इंटरनेशनल दलित व माइनाॅरिटी फ्रंट के भी अध्यक्ष थे।
शतरंज खेलने के शौकीन राम विलास पासवान के पास 23 साल की उम्र में डीएसपी और एमएलए दोनों बनने का अवसर आया तो उन्होंने एमएलए बनने को प्राथमिकता दी।
1975 में इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तार हुए मगर उसी साल उन्होंने हाजीपुर से लोकसभा का चुनाव रिकाॅर्ड 4,24,545 वोटों से जीता। तब से 2014 तक वे नौ बार लोकसभा के सांसद रहे और इसके बाद राज्यसभा के सदस्य भी बने। यूपीए और एनडीए दोनों के शासन काल में मंत्री बनने को उनकी राजनीतिक पकड़ की पहचान माना जाता है।