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ऑस्कर पुरस्कार से सम्मानित और देश के सबसे प्रतिष्ठित फ़िल्म निर्देशक सत्यजित रे दिलीप कुमार से बेहद प्रभावित थे। हालांकि इस बंगाली फ़िल्म निर्देशक ने उनके साथ कोई फ़िल्म नहीं की, पर वे उनकी अभिनय क्षमता ही नहीं, बल्कि अभिनय के उनके तौर-तरीकों के मुरीद थे।
सत्यजित राय का मानना था कि दिलीप कुमार भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े मेथड एक्टर थे। मेथड एक्टर उस अभिनेता को कहते हैं जो फ़िल्म के किरदार को उसके मनोवैज्ञानिक स्तर पर समझता है और उसके अंदर उतर कर बिल्कुल वैसा ही बनने की कोशिश करता है।
दिलीप कुमार किस तरह के मेथड एक्टर थे, इसे इससे समझा जा सकता है कि फ़िल्म 'कोहेनूर' में एक गाने में सितार बजाने के रोल के लिए उन्होंने उस्ताद अब्दुल हलीम जाफ़र ख़ाँ से सितार बजाना सीखा था।
बीबीसी से बात करते हुए दिलीप कुमार ने कहा था,
“
सिर्फ़ यह सीखने के लिए कि सितार पकड़ा कैसे जाता है, मैंने सालों तक सितार बजाने की ट्रेनिंग ली.. यहाँ तक कि सितार के तारों से मेरी उंगलियाँ तक कट गई थीं।
दिलीप कुमार, फ़िल्म अभिनेता
इसी तरह 'नया दौर' बनने के दौरान उन्होंने तांगा चलाने वालों से तांगा चलाने की बाक़ायदा ट्रेनिंग ली थी।
एक दौर था जब दिलीप कुमार की ज़्यादातर फ़िल्में ट्रैजेडी हुआ करती थीं, कई फ़िल्मों में उनके किरदार की मौत हो गई। दिलीप कुमार मेथड एक्टर तो थे ही, वे अपने किरदार में इस तरह डूब जाया करते थे कि लंबे समय तक इस तरह की भूमिका करने के बाद वे डिप्रेशन का शिकार हो गए।
दिलीप कुमार ने बीबीसी से कहा, 'एक समय ऐसा भी आया कि मरने के सीन करते करते मैं डिप्रेशन का शिकार हो गया और इसको दूर करने के लिए मुझे डॉक्टरों से इलाज करवाना पड़ा। उन्होंने मुझे सलाह दी कि मैं ट्रैजिक फ़िल्में छोड़कर कॉमेडी में अपना हाथ आज़माऊँ। लंदन में इलाज करवा कर वापस आने के बाद मैंने 'कोहिनूर', 'आज़ाद' और 'राम और श्याम' जैसी फ़िल्में कीं जिनमें कॉमेडी का पुट ज़्यादा था।'
दिलीप कुमार की यह खूबी उनकी एक और फ़िल्म 'गंगा जमुना' में भी दिखती है। पूर्वी उत्तर प्रदेश की पृष्ठभूमि में बनी इस फ़िल्म में दिलीप कुमार ने बिल्कुल स्थानीय लोगों की तरह डॉयलॉग बोले हैं जबकि वे स्वयं पठान थे, पाकिस्तान से आए थे और उत्तर प्रदेश से उनका दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं था।
यह मेथड एक्टर की ही खूबी थी कि उन्होंने उस किरदार को उस तरह से जीया था।
अमिताभ बच्चन ने एक बार कहा कि जब वे इलाहाबाद में पढ़ रहे थे तो उन्होंने यह देखने के लिए यह फ़िल्म बार बार देखी कि एक पठान जिसका कि उत्तर प्रदेश से दूर दूर का वास्ता नहीं था, किस तरह वहां की बोली को पूरे परफ़ेक्शन के साथ बोलता है।
इस ट्रैजेडी किंग ने एक नहीं कई बार प्रेम किया, लेकिन उन रिश्तों का अंत कई बार त्रासद ही रहा।
दिलीप कुमार का पहला प्यार कामिनी कौशल थीं, जिनके साथ उन्होंने तीन फ़िल्में की थीं। दोनों की मुलाक़ात 1948 में रिलीज़ हुई फिल्म 'शहीद' के सेट पर हुई, प्रेम परवान चढ़ा। लेकिन उस समय कामिनी कौशल शादी-शुदा थीं।
दरअसल, कामिनी की बड़ी बहन का सड़क दुर्घटना में निधन हो गया, कामिनी को अपनी बहन के बच्चों को संभालने के लिए अपने बहनोई से विवाह करना पड़ा।
जब कामिनी के भाई को दिलीप कुमार के साथ उनके प्रेम की बात का पता चला तो वे गुस्से से लाल हो गए और उन्होंने दिलीप कुमार को धमकाया कि वे कामिनी से रिश्ता तोड़ लें। कामिनी भी परिवार के ख़िलाफ़ नहीं जा सकती थीं।
कामिनी कौशल ने 2014 में एक मैगजीन से कहा था, 'हम एक-दूसरे के साथ बहुत खुश थे। लेकिन क्या कर सकते थे? मैं यह कहकर किसी को (हसबैंड) धोखा नहीं दे सकती थी कि अब बहुत हुआ, मैं जा रही हूँ। मैं अपनी दिवंगत बहन को क्या मुंह दिखाती? मेरे हसबैंड बहुत अच्छे इंसान हैं। वे समझते थे कि ऐसा क्यों हुआ? प्यार में कोई भी पड़ सकता है।'
इस ट्रैजेडी किंग को मधुबाला से भी इश्क हुआ था।
अपनी आत्मकथा 'द सब्सटेंस एंड द शैडो' में दिलीप कुमार स्वीकार करते हैं कि वो मधुबाला की तरफ़ आकर्षित थे एक कलाकार के रूप में भी और एक औरत के रूप में भी।
दिलीप कुमार ने कहा था कि 'मधुबाला बहुत ही जीवंत और फुर्तीली महिला थी जिनमें मुझ जैसे शर्मीले और संकोची शख़्स से संवाद स्थापित करने में कोई दिक्कत नहीं होती थी।'
लेकिन मधुबाला के पिता के कारण यह प्रेम कथा बहुत दिनों तक चल नहीं पाई। मधुबाला की छोटी बहन मधुर भूषण ने कहा था, 'अब्बा को यह लगता था कि दिलीप उनसे उम्र में बड़े हैं. हांलाकि वो 'मेड फ़ॉर ईच अदर' थे। बहुत ख़ुबसूरत 'कपल' था। लेकिन अब्बा कहते थे इसे रहने ही दो, ये सही रास्ता नहीं है।'
उन्होंने इसके आगे कहा, 'लेकिन वो उनकी सुनती नहीं थीं और कहा करती थीं कि वो उन्हें प्यार करती हैं. लेकिन जब बी. आर. चोपड़ा के साथ 'नया दौर' पिक्चर को लेकर कोर्ट केस हो गया तो मेरे वालिद और दिलीप साहब के बीच मनमुटाव हो गया। अदालत में उनके बीच समझौता भी हो गया।'
आत्मकथा के मुताबिक़, 'दिलीप साहब ने कहा कि चलो हम लोग शादी कर लें। इस पर मधुबाला ने कहा कि शादी मैं ज़रूर करूँगी, लेकिन पहले आप मेरे पिता को सॉरी बोल दीजिए। लेकिन दिलीप कुमार ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। उन्होंने यहाँ तक कहा कि घर में ही उनके गले लग जाइए, लेकिन दिलीप कुमार इस पर भी नहीं माने। वहीं से इन दोनों के बीच ब्रेक अप हो गया।'
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