अरुण जेटली की राजनीति भले ही लुटियंस के गलियारों में चमकी थी, लेकिन इससे पहले उनका राजनीतिक अनुभव छात्र राजनीति तक ही सीमित था। जेटली जब दिल्ली के श्रीराम कॉलेज में पढ़ते थे तो देश में जय प्रकाश नारायण के आंदोलन की धमक बढ़ती जा रही थी। देश के अन्य महाविद्यालय और विश्वविद्यालयों की तरह दिल्ली यूनिवर्सिटी और इसके महाविद्यालयों में भी जब यह आंदोलन बढ़ने लगा तो जेटली भी उसमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के माध्यम से शामिल हुए। इस दौरान जेटली दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष थे और आंदोलन के दौरान ही आपातकाल में उनकी गिरफ़्तारी भी हुई और वह क़रीब 19 महीने तक तिहाड़ जेल में रहे थे।