मंगलेश डबराल (16 मई 1948 – 9 दिसंबर 2020) के नवीनतम और अंतिम काव्य संकलन का नाम है- `स्मृति एक दूसरा समय है’। सहज ही निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि स्मृति या स्मृतियों की उनके यहाँ एक ख़ास जगह है। अक्सर हम सुनते और पढ़ते रहते हैं, और यह सच भी है कि हम जिस दौर में रह रहे हैं उसमें राजनैतिक सत्ताएँ और पूँजी केंद्रित संस्थाएँ एक स्मृतिहीन समय रचने की कोशिश कर रही हैं। चेक उपन्यासकार मिलान कुंदेरा ने इसी को लक्षित करते हुए लिखा था- ‘मनुष्य का सत्ता के विरुद्ध जो संघर्ष है वो स्मृति की विस्मृति के ख़िलाफ़ लड़ाई है।’