राममनोहर लोहिया के सहयोगी और 1962 में जसवंतनगर सीट से विधान सभा का चुनाव लड़ चुके नत्थू सिंह ने एक बार मैनपुरी के एक दंगल में मुलायम सिंह यादव को कुश्ती लड़ते देखा। कुश्ती वे अच्छी लड़ते थे और इलाके के चैंपियन थे। पता नहीं नत्थू सिंह ने मुलायम के कुश्ती के दांव-पेचों में क्या देखा, लेकिन लोहिया से कहकर उन्हें 1967 में इटावा की जसवंतनगर सीट से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का टिकट दिलवा दिया। उस चुनाव में मुलायम जीते और विधान सभा में सबसे कम उम्र के विधायक (28 साल) बने।
मुलायम ने विरोधियों को कई बार दी पटखनी, लेकिन चित भी हुए
- श्रद्धांजलि
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- 10 Oct, 2022

दिग्गज समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव हमारे बीच से चले गए हैं। लेकिन मंडल के बाद की तीन दशकों की उत्तर भारतीय राजनीति को प्रभावित करने वाले नेताओं में उन्हें गिना जाता रहेगा।
यहां से मुलायम सिंह यादव ने लोहिया के नेतृत्व में समाजवाद की राह पकड़ी। गैर-कांग्रेसवाद का नारा देने वाले लोहिया से वे पहले से प्रभावित थे ही। 1967 का साल चुनाव कुछ राज्यों में गैर-कांग्रेसी सरकारें बनने का साल था।
उत्तर प्रदेश में ‘संविद’ (संयुक्त विधायक दल) की जो सरकार बनी उसमें भारतीय जनसंघ (आज की बीजेपी का पूर्व अवतार) भी था और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी भी। लोहिया की प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और अन्य दल तो थे ही।
उत्तर प्रदेश में ‘संविद’ (संयुक्त विधायक दल) की जो सरकार बनी उसमें भारतीय जनसंघ (आज की बीजेपी का पूर्व अवतार) भी था और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी भी। लोहिया की प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और अन्य दल तो थे ही।