भारत रत्न लता मंगेशकर की आवाज़ सिर्फ उनकी ही पहचान नहीं है। उनकी आवाज़ के दिव्य स्पर्श से रसों को, भावों को भारतीय संगीत के तमाम राग-रागनियों को चेहरों में ढलते महसूस किया जा सकता है। लता मंगेशकर के गाये सैकड़ों गीतों को सुनने के बाद यह कहा जा सकता है कि उनकी आवाज़ मनुष्य के भीतर छुपी ऐन्द्रिकता को उकसाने के बजाय सीधे आत्मा को जगाती है।
लता की वजह से पार्श्व गायन में फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार शुरू करना पड़ा!
- श्रद्धांजलि
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- 6 Feb, 2022

जब चोरी-चोरी को सर्वश्रेष्ठ संगीत का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला तो उत्साहित जयकिशन ने लता मंगेशकर से आग्रह किया कि वे 'चोरी-चोरी' का लोकप्रिय विरह गीत 'रसिक बलमा' पुरस्कार समारोह में गा दें तो कार्यक्रम में चार चाँद लग जाएँगे। लेकिन जयकिशन की उम्मीदों पर पानी फिर गया जब लता मंगेशकर ने उनका आग्रह अस्वीकार कर दिया।
मराठी पिता और गुजराती माँ की सबसे बड़ी संतान लता मंगेशकर का जन्म 28 सितम्बर 1929 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था। गोवा के मंगेशी कस्बे के मूल निवासी उनके पिता दीना नाथ मंगेशकर अपने दौर के मशहूर शास्त्रीय गायक और रंगकर्मी थे। 1942 में दीनानाथ मंगेशकर की मृत्यु के बाद 13 साल की लता पर पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी आ पड़ी। उनके परिवार के शुभचिंतक मास्टर विनायक की मदद से लता को फिल्मों में काम मिलना शुरू हुआ जिसमें गाने के अलावा अभिनय भी शामिल था।