डिज़्नी हॉटस्टार पर यामी गौतम की फ़िल्म का नाम ए थर्सडे की जगह अगर ज़ख़्मी औरत होता तो शायद फ़िल्म के लिए बेहतर होता। हालाँकि इसी नाम से डिम्पल कपाड़िया की एक फ़िल्म पहले आ चुकी है और यामी गौतम की फ़िल्म का अंत भी ठेठ मसाला सिनेमा के उसी फॉर्मूलावादी ढर्रे पर होता है लेकिन कम से कम शीर्षक, कहानी और ट्रीटमेंट के आधार पर नसीरुद्दीन शाह की चर्चित फिल्म ए वेडनसडे से तुलना से बच जाते।

डिज़्नी हॉटस्टार पर आई फ़िल्म ‘ए थर्सडे’ की समीक्षा में पढ़िए कैसे आम महिला के दुखद, पीड़ादायक अतीत, उसके साथ हुए जघन्य अपराध, अन्याय और अपराधियों के छुट्टा घूमते रहने पर पैदा हुए ग़ुस्से को कैसे पेश किया गया है।
लेखक निर्देशक को लगा होगा कि कैलेंडर के हिसाब से वेडनसडे यानी बुधवार के बाद थर्सडे यानी गुरुवार ही आता है तो व्यवस्था के ख़िलाफ़ आम आदमी के प्रतिरोध के फिल्मी फ़ार्मूले को सस्पेंस थ्रिलर के ढाँचे में आगे बढ़ाने के लिए यह ठीक रहेगा।