कथक उनका मजहब था और छंद थे उनका ईमान। अगर आप उनसे परिचित नहीं भी थे, तो भी उनकी लहलहाती हंसी देखकर यक़ीन के साथ कह सकते थे कि उन्हें किसी का साथ मिला हुआ है। वह हमेशा हंसते हुए कहते थे- ''कथक का मिला है न, वह भी छह साल की उम्र से।"
पंडित बिरजू महाराज: और आज घुंघरू टूट गए...
- श्रद्धांजलि
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- 20 Jan, 2022

दुनियाभर में मशहूर रहे कथक डांसर पंडित बिरजू महाराज का 17 जनवरी को निधन हो गया। उन्होंने छह साल की उम्र से ही नृत्य का प्रदर्शन शुरू कर दिया था। जानिए, कैसे हुई थी शुरुआत।
छह के इस अंक को महाराज बड़े नेह से छूते हुए अपने अतीत में पहुंच जाते थे- "वर्ष 1944 की बात। छह साल के एक बच्चे को अपने पिता के साथ रामपुर नवाब के दरबार में नाचने जाना है। बच्चे को सवेरे-सवेरे जगाकर मां काजल लगा रही है। कंघा कर रही है। साफा बांध रही है। बच्चे को नींद से उठना नागवार गुजरता है। ग़ुस्से में पैर पटकते हुए कहता है, ‘यह साला नवाब मर क्यों नहीं जाता।’