कथक उनका मजहब था और छंद थे उनका ईमान। अगर आप उनसे परिचित नहीं भी थे, तो भी उनकी लहलहाती हंसी देखकर यक़ीन के साथ कह सकते थे कि उन्हें किसी का साथ मिला हुआ है। वह हमेशा हंसते हुए कहते थे- ''कथक का मिला है न, वह भी छह साल की उम्र से।"