अलविदा सुरेखा जी।'चेरी आर्चर्ड' की डिजाइन और उसका मंचन, एक प्रयोग कर रहा था, जब प्रेक्षक खुद अनजाने नाटक का हिस्सा बन जाए। नाट्य मंच पर प्रेक्षक जिसे सरल भाषा में दर्शक कह दिया जाता है - दर्शक की सीट से उठे और मंच पर जाकर उसका हिस्सा बन जाए, चेरी का बगीचा उसी का प्रयोग था। अमेरिकन निदेशक (शायद वेन विद्ज थे) मंचन की यह विधा बनारस की रामलीला से देख कर प्रयोग कर रहे थे।