मंगलेशजी जनसत्ता की शुरुआती टीम में थे। और उन्हें रविवारीय मैगजीन का संपादन मिला था। उस समय जनसत्ता की टीम में हर तरह की विचारधारा के लोग थे और हर व्यक्ति अपने लोगों को ही प्रमोट करने अथवा नए रंगरूटों को अपने पाले में लाने की फ़िराक़ में रहता था।