कांशीराम ने अच्छी पढ़ाई की और पुणे की एक्सप्लोसिव रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैबोरेटरी में वैज्ञानिक थे तो राजनीति में कैसे आ गए? जानिए उन्होंने कैसे दलित राजनीति को बदल दिया।
भाषा के मामले में मंगलेशजी का जोड़ नहीं था। चूँकि वे मूल रूप से कवि थे इसलिए उनका गद्य इतना ललित और प्रवाहमान होता कि उसे समझने में कभी किसी को कोई दिक़्क़त नहीं होती।